रांची। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने जेपीएससी-2 के पांच अफसरों के खिलाफ नये सिरे से जांच करने का आदेश दिया है। इन अफसरों में प्रशांत कुमार लायक, लाल मनोज नाथ शाहदेव, कुमार शैलेंद्र, हरि उरांव और कुमारी गीतांजलि का नाम शामिल है। न्यायालय ने अपने आदेश की कॉपी सीबीआइ के ब्रांच हेड को भेजने का निर्देश दिया है।

सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने जेपीएससी-2 के अभियुक्तों के खिलाफ संज्ञान से संबंधित आदेश में लिखा है कि सीबीआइ ने इन पांच अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित नहीं किया है। सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जांच के दौरान प्रशांत लायक, लाल मनोज नाथ शाहदेव, कुमार शैलेंद्र, हरि उरांव और कुमारी गीतांजलि के खिलाफ के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा है कि यह सभी प्राथमिकी के नामजद अभियुक्त हैं। प्राथमिकी में इनके खिलाफ स्पेसिफिक आरोप हैं। इससे संबंधित फॉरेंसिक रिपोर्ट में इनके नंबरों में बदलाव किये जाने का ब्योरा उपलब्ध है। जांच अधिकारी ने इन्हें आरोप मुक्त करने के लिए किसी कारण का उल्लेख नहीं किया है। हालांकि परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितता होने की बात कही है।

न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा है कि जेपीएससी द्वारा की गयी नियुक्तियों में अनियमितता के सिलसिले में हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। बुद्ध देव उरांव बनाम राज्य सरकार के इस मामले में हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में जेपीएससी-1, जेपीसीएससी-2 सहित नियुक्तियों के लिए आयोजित की गयी 16 परीक्षाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।

मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दायर शपथ पत्र में भी परीक्षा के दौरान अनियमितता बरतने की बात कही गयी थी। इन तथ्यों के मद्देनजर जांच अधिकारी को याचिकाकर्ता का बयान दर्ज कर रिकॉर्ड पर लाना चाहिए था। लेकिन जांच अधिकारी ने ऐसा नहीं किया है।

सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने हसन भाई वली भाई बनाम गुजरात सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के आलोक में उन अभियुक्तों के खिलाफ नये सिरे जांच आवश्यक करार दिया है। साथ ही सीबीआइ को नये सिरे से जांच कर पूरक आरोप पत्र दायर करने का आदेश दिया है।

 

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