“बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर दोहरी मार पड़ी। फरवरी में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है और मार्च में खुदरा महंगाई यानी रिटेल इंफ्लेशन में बढ़ोतरी हुई है।”
फरवरी में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में भारी गिरावट दर्ज की गई है। आलम यह रहा कि उत्पादन निगेटिव में चला गया। फरवरी में आईआईपी घटकर -1.2 फीसदी पर आ गया है जबकि जनवरी में आईआईपी की दर 3.2 फीसदी पर थी।
जनवरी में आईआईपी की दर को 2.7 फीसदी से संशोधित करके 3.3 फीसदी कर दिया गया है। इस तरह फरवरी में उत्पादन में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी में कंज्यूमर नॉन ड्यरेबल्स की विकास दर-8.6 हो गई है जो कि जनवरी में -3.2 फीसदी पर आई थी। फरवरी में कंज्यूमर गुड्स की ग्रोथ घटकर -5.6 फीसदी रही है जबकि जनवरी में ये -1 फीसदी पर आई थी। फरवरी में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ घटकर 3.3 फीसदी रही है जो जनवरी में 5.3 फीसदी रही थी। फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ घटकर -2 फीसदी रही है जो जनवरी में 2.3 फीसदी रही थी।
फरवरी में इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ घटकर 0.3 फीसदी रही है जो जनवरी में 3.9 फीसदी रही थी। फरवरी में बेसिक गुड्स की ग्रोथ घटकर 2.4 फीसदी रही है जो जनवरी में 5.3 फीसदी रही थी। महीने आधार पर फरवरी में कैपिटल गुड्स की ग्रोथ में बड़ी गिरावट आई और ये -3.4 फीसदी रही है जो कि जनवरी में 10.7 फीसदी पर आई थी।
फरवरी में इंटरमीडिएट गुड्स की ग्रोथ बढ़कर -0.2 फीसदी रही है जबकि इससे पिछले महीने में इंटरमीडिएट गुड्स की ग्रोथ -2.3 फीसदी रही थी। मार्च में महंगाई के मोर्चे पर भी निराशा हाथ लगी है क्योंकि खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) बढ़कर 3.81 फीसदी पर आ गई है। वहीं इसके पिछले महीने फरवरी में रिटेल महंगाई दर 3.65 फीसदी रही थी।
मार्च में खाद्य महंगाई दर मामूली घटकर 1.93 फीसदी रही जो फरवरी में 2.01 फीसदी रही थी। सब्जियों की महंगाई दर फरवरी के -8.29 फीसदी से घटकर -7.24 फीसदी रही और फलों की महंगाई दर फरवरी के 8.33 फीसदी से बढ़कर मार्च में 9.35 फीसदी रही है।
मार्च में अनाजों की महंगाई दर फरवरी के 5.3 फीसदी से मामूली बढ़कर 5.38 फीसदी रही। दूध की महंगाई दर 4.22 फीसदी से बढ़कर 4.69 फीसदी रही है। मार्च में दालों की महंगाई दर बढ़कर -12.42 फीसदी रही जो फरवरी में -9.02 फीसदी थी। मार्च में चीनी की महंगाई दर घटकर 17.05 फीसदी रही जो फरवरी में 18.83 फीसदी रही थी।