नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को गायों की सुरक्षा और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर इनकी तस्करी रोकने के उपायों पर अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। इस रिपोर्ट में केंद्र ने कहा है कि छोड़े गए जानवरों की सुरक्षा करने का काम राज्य सरकार का है। हर जिले में एक 500 जानवरों की क्षमता वाला शेल्टर होम होना चाहिए।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पूरे देश में हर गाय और उसकी संतान को एक यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी ‘आधार’ दिया जाना चाहिए, ताकि उन्हें आसानी से ट्रैक किया जा सके। इससे तस्करी रोकने में भी मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में दूध न देने वाले पशुओं के लिए विशेष देखभाल की सिफारिश की गई है। साथ ही परेशान किसानों के लिए भी एक योजना शुरू करने पर जोर दिया गया है। पिछले साल जब गायों के लिए यूआईडी की बात की गई थी तो इसका काफी मजाक और आलोचना की गई थी। लेकिन अब सरकार ने इसे उच्च स्तर तक ले जाने की अपनी मंशा साफ कर दी है।
यूआईडी में जानवर की उम्र, ब्रीड, सेक्स, हाइट, बॉडी, कलर, सींग का प्रकार, पूंछ और उसके शरीर पर खास निशान होंगे। वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि आवारा जानवरों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।
आपको बता दें कि गाय को लेकर गुजरात के दलित समुदाय ने अजीबोगरीब मांग उठाई है। उनका कहना है कि गायों को भी आधार कार्ड दिया जाना चाहिए और हर गांव में भूसे का डिपो होना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह प्लास्टिक न खाएं। सुरेंद्रनगर के रहने वाले दलित एक्टिविस्ट नाटू परमार 10 मई को जीव मत्रा करुणा ने पत्रा थीम पर एक बड़ा सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं। यह एेसे समय पर हो रहा है जब राज्य सरकार ने गोहत्या के लिए कानून में प्रावधान कर उम्रकैद की सजा तय की है।