नई दिल्ली: ग्रामीण परिवारों की गरीबी दूर करने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही एक माइक्रो क्रेडिट प्रोग्राम को शुरू करने जा रही है।

इस योजना के तहत अगले 3 से 5 सालों में प्रत्येक परिवार को एक लाख रुपए तक का कर्ज देने के साथ-साथ रियायती ब्याज दर भी शामिल है।

ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिन्हा ने बताया कि हम लोन लेने की प्रक्रिया को आसान बना रहे हैं। हम प्रत्येक घर की आजीविका का विवरण निकाल रहे हैं जिसके अनुसार पैसा दिया जा सके। 2019 तक 8.5 करोड़ गरीब परिवारों को इस योजना से जोड़ा जाएगा। जिनकी पहचान सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना के आधार पर की गई है। सरकार 2019 तक वंजित ग्रामीण परिवारों के आजीविका निर्माण के लिए प्रति वर्ष 60,000 करोड़ रुपए मुहैया करने के लिए बैंक संयोजन को दोगुना करना चाहती है। सरकार का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों की उन स्थानीय साहूकारों और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से निर्भरता हटाना है जो बैंकों के मुकाबले 11 प्रतिशत अधिक ब्याज लगाते हैं।

उन्होंने बताया कि नए प्रस्ताव के अनुसार अनुदान की वजह से उधारकर्ता पर ब्याज का बोझ काफी कम हो जाएगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कृषि और पशुपालन मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है ताकि उन परिवारों को कर्ज मुहैया कराया जा सके जो टिलिंग, बकरी के रहने का स्थान और मुर्गीपालन के कामों में सक्रिय हैं।

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