107 साल की उम्र का व्यक्ति भी समाज के लिए क्या खतरा हो सकता है? गोरखपुर के बलांव गांव के चौथी यादव के साथ गुरुवार तक ऐसा ही था। 107 वर्षीय चौथी यादव की गुरुवार को गोरखपुर जेल से रिहाई के बाद बेलाओं गांव में दीवाली जैसा माहौल था। भारत में सबसे अधिक उम्र के कैदी चौथी यादव को 38 साल पुराने हत्या मामले में 14 साल की सजा काटने के बाद रिहा किया गया। चौथी यादव की रिहाई तीन महीने पूर्व यूपी के राज्यपाल राम नाइक के दिए आदेश की वजह से मुमकिन हो सकी। राज्यपाल ने अपने सांविधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए चौथी यादव की रिहाई का आदेश दिया। इसके लिए उस वक्त की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी सरकार ने 12 जनवरी 2017 को सिफारिश की थी।

बेलीपार थाना क्षेत्र के बलांव गांव के रहने वाले चौथी यादव को जेल से लेने 96 वर्षीय पत्नी सुनरा और भतीजा आए। रिहाई के बाद चौथी यादव ने कहा कि उन्हें फंसाया गया था। दरअसल, चौथी यादव को 25 जुलाई 1979 को हुई एक हत्या के मामले में दोषी पाया गया। कोर्ट ने 1982 में चौथी यादव को धारा 302 में दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई। फिर ये मामला ऊपरी अदालतों में चला। 2003 में चौथी यादव को जेल भेजा गया। चौथी यादव के बेटे की शादी उरुवा थाना क्षेत्र में हुई है। आरोप के मुताबिक चौथी यादव की बेटे के ससुराल वालों और गांव के धर्मेंद्र तिवारी से मारपीट हुई थी, जिसमे धर्मेंद्र तिवारी के चाचा की मौत हो गयी थी। इसके बाद उरुवा थाने में ह्त्या का मुकदमा दर्ज किया गया, जिसमे चौथी यादव को नामजद किया गया था। चौथी यादव को कभी वाराणसी जेल तो कभी गोरखपुर जेल में रखा गया। 2015 में चौथी यादव के नाती ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उम्र का हवाला देते हुए रिहाई की गुहार लगाई। लेकिन चौथी यादव को खुली हवा में सांस लेना जब नसीब हुआ तो प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार अस्तित्व में आ चुकी है।
चौथी यादव का कहना है कि जेल में उनका स्टाफ और दूसरे कैदियों के साथ अच्छे संबंध हो गए थे। चौथी यादव के मुताबिक गुरुवार को जब उनकी रिहाई का ऑर्डर आया तो सभी ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी।

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