पिछले साल गर्मियों में राजधानी समेत पूरे झारखंड में जबरदस्त पेयजल की किल्लत हुई थी। यह देखकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक ही दिन में कांके और हटिया डैम का निरीक्षण कर अधिकारियों को दोनों डैमों का गहरीकरण करने का निर्देश दिया था। साथ ही उन्होंने राज्य के सभी तालाबों के गहरीकरण और उनके जीर्णोद्धार का निर्देश दिया था। उन्होंने इसके लिए टेंडर का इंतजार न करते हुए विभागीय स्तर पर काम शुरू करने को कहा था। इस आलोक में दोनों डैमों का गहरीकरण करने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी। साथ ही राजधानी के सभी प्रमुख तालाबों का गहरीकरण और जीर्णोद्धार की योजना भी शुरू की गयी थी। तालाबों का गहरीकरण किया जा रहा था, इसी बीच बारिश शुरू हो जाने से गेवियन वाल का काम पूरा नहीं हो सका। इसके कारण बारिश के दौरान बाहर की मिट्टी फिर बहकर तालाबों में आ गयी। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने इस साल फरवरी-मार्च में ही काम शुरू करने का निर्देश दिया था।
रांची में 85 और राज्य में 260 तालाबों का जीर्णोद्धार
सीएम के निर्देश के आलोक में राजधानी के 85 समेत पूरे राज्य में 260 तालाबों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। औसतन एक तालाब पर 5 से 14 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं। जल संरक्षण के लिए डोभा निर्माण के साथ-साथ तालाबों का जीर्णोद्धार (गहरीकरण) भी हुआ है। तालाबों का जीर्णोद्धार कार्य कृषि, सहकारिता एवं पशुपालन विभाग से संबद्ध भूमि संरक्षण निदेशालय के तहत किया गया है। भूमि संरक्षण पदाधिकारी, रांची ने जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित सरकारी तालाबों का गहरीकरण कराया है। यह कार्य पानी समिति या जल लाभुक समिति के जरिये किया जा रहा है। यह कार्य बिना मॉनिटरिंग के किया गया है। सभी तालाब को 10 फीट गहरा किया जाना है। विभिन्न प्रखंडों में कार्य के दौरान स्थानीय स्तर पर मॉनिटरिंग किये जाने का निर्देश है। गांव-देहात के लोगों ने ही ठेकेदार बन कर यह काम किया है।
राजधानी में नगर निगम करा रहा जीर्णोद्धार
रांची शहरी क्षेत्र में तालाबों का जीर्णोद्धार नगर निगम द्वारा कराया जा रहा है। बटन तालाब (डोरंडा), चुटिया तालाब, मल्लाह तालाब (चुटिया), जोड़ा तालाब (बरियातू), रिम्स तालाब (बरियातू), तिरिल तालाब (कोकर), बरियातू तालाब (थाना के पीछे), कोकर तालाब, जगन्नाथपुर तालाब (धुर्वा), मजार तालाब (डोरंडा), डिस्टलरी तालाब (कोकर), कडरू बस्ती तालाब।
सिर्फ रांची जिले में तालाब जीर्णोद्धार पर करीब 12 करोड़ रुपये खर्च होंगे
भूमि संरक्षण उप सचिव ओम प्रकाश के अनुसार सभी 85 तालाबों में प्रति तालाब औसतन 14 लाख रुपये गहरीकरण और जीर्णोद्धार कार्य पर खर्च हो रहे हंै। इस तरह सिर्फ रांची जिले में तालाब गहरीकरण पर करीब 12 करोड़ रुपये का खर्च है। निदेशक के अनुसार कार्य शुरू होने से पहले तालाबों की तस्वीर ली गयी थी, ताकि पता लगाया जा सके कि तालाब कितना गहरा है। हालांकि इस प्रक्रिया से तालाब की गहराई पता करना मुश्किल ही होगा। प्रत्येक तालाब को 10 फीट गहरा करने का निर्देश दिया गया है।
सिंचाई की समस्या भी आसान करेंगे तालाब
कृषि विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना बनायी गयी है। इसके तहत पूरे राज्य में 260 तालाबों की सफाई और गहरीकरण का कार्य मशीनों द्वारा शुरू किया गया है। प्रत्येक प्रखंड में कम से कम एक तालाब का जीर्णोद्धार किया जाना है। विभाग के स्तर से गत माह इस बाबत राज्यादेश जारी करते हुए 35 करोड़ की राशि भी निर्गत कर दी गयी है। योजना के तहत ऐसे तालाबों का चयन किया गया है, जिनका दायरा कम से कम एक एकड़ का हो। राज्यादेश में पलामू और संथाल पर विशेष फोकस करने की बात भी कही गयी है। भूमि संरक्षण उप सचिव ओमप्रकाश ने कहा कि पिछले साल बारिश से तालाबों के गहरीकरण का कार्य प्रभावित हुआ था। उन्होंने कहा कि इस साल समय से पहले लक्ष्य पूरा कर लिया जायेगा।
इस साल बन जायेंगे तालाबों के गेवियन वॉल
रांची नगर निगम द्वारा इस साल तालाबों के गेवियन वॉल निर्माण पूरा हो जाने की बात कही जा रही है। पिछले साल समय पर पत्थर नहीं मिलने के कारण गेवियन वाल का निर्माण समय रहते पूरा नहीं हो सका था। अधिकतर तालाबों में गेवियन वॉल निर्माण का कार्य आधा-अधूरा रह गया था। तालाबों के गहरीकरण कार्य के बाद निर्धारित मानक के अनुरूप पत्थर नहीं मिलने पर संवेदकों को काफी परेशानी हुई थी। संवेदकों को इस बार गेवियन वाल निर्माण में भारी पत्थरों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है।