नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह ब्रिटेन को कोहिनूर हीरा लौटाने या उसे नीलाम न करने का आदेश नहीं दे सकता. सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनजीओ ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस की कोहिनूर हीरा को देश में वापस लाने का निर्देश देने संबंधी याचिका खारिज करते हुए यह कहा.
हम कैसे आदेश दें: कोर्ट
केहर ने कहा, “हम हैरान हैं कि एक भारतीय अदालत ब्रिटेन में मौजूद किसी चीज को वापस लाने का आदेश कैसे दे सकती है?” अदालत की पीठ ने कहा, “क्या हम यह आदेश दे सकते हैं कि ब्रिटेन को कोई संपत्ति नीलाम नहीं करनी चाहिए?” याचिकाकर्ता एनजीओ ने अदालत से यह आदेश देने की मांग की थी कि ब्रिटेन कोहिनूर हीरे की नीलामी न करे.
दूसरे देश की संपत्ति के बारे में आदेश पारित नहीं हो सकता
पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालत सरकार के जवाब से संतुष्ट है कि वह हीरा वापस लाने का प्रयास कर रही है. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह किसी ऐसी संपत्ति के बारे में आदेश पारित नहीं कर सकता तो दूसरे देश में है.
भारत सरकार तलाश रही है संभावनाएं
पीठ ने कहा, ”हम आश्चर्यचकित हैं कि ऐसी याचिकाएं उन संपत्तियों के लिये दायर की गयी हैं जो अमेरिका और ब्रिटेन में हैं. किस तरह की यह रिट याचिका है.” शीर्ष अदालत ने केन्द्र द्वारा दाखिल हलफनामे का जिक्र करते हुये कहा कि भारत सरकार इस मसले पर ब्रिटेन सरकार के साथ निरंतर संभावनाएं तलाश रही है.
गैर सरकारी संगठन ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस फ्रंट और हेरीटेज बेंगाल की याचिकाओं को पिछले साल न्यायालय ने एक साथ संलग्न कर दिया था. इन याचिकाओं में कहा गया था कि भारत को 1947 में आजादी मिली. परंतु केन्द्र में लगातार सरकारों ने ब्रिटेन से कोहिनूर हीरा भारत लाने के लिये बहुत कम प्रयास किये हैं.
कोर्ट ने कहा पंजाब के शासकों ने कंपनी को दिया था कोहिनूर
इससे पहले केन्द्र ने न्यायालय में कहा था कि ब्रिटिश शासकों ने कोहिनूर हीरा न तो जबरन ले गये और न ही इसे चुराया था परंतु इसे पंजाब के शासकों ने ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया था. शीर्ष अदालत ने केन्द्र से जानना चाहा था कि क्या वह दूनिया के सबसे बेशकीमती कोहिनूर हीरे पर अपना दावा करने की इच्छुक है.
केन्द्र ने उस समय कहा था कि कोहिनूर को वापस लाने की मांग बार बार संसद में होती रही है.