रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने दागी विधायकों एवं पूर्व विधायकों पर चल रहे गंभीर आपराधिक मामलों के लंबित रहने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने ऐसे मामलों में त्वरित अनुसंधान पूरा करने का निर्देश सरकार को दिया है। झारखंड अगेंस्ट करप्शन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से ऐसे दागी विधायकों एवं पूर्व विधायकों के आपराधिक केस के स्टेटस की जानकारी मांगी है।
कोर्ट ने कहा है कि यदि सरकार का जवाब नहीं आता है, तो राज्य के डीजीपी को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होकर जवाब देना होगा। हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि ऐसे दागी विधायकों एवं पूर्व विधायकों के कितने मामले लंबित हैं, कितने में चार्जशीट किया जा चुका है। कितने के खिलाफ ट्रायल चल रहा है और कितने के खिलाफ ट्रायल पूरा हो चुका है। कोर्ट ने इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
प्रार्थी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 43 विधायकों एवं पूर्व विधायकों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन जनप्रतिनिधियों में से तीन के खिलाफ हत्या के संगीन आरोप हैं, इनमें बीजेपी, जेएमएम एवं जेवीएम के एक-एक विधायक शामिल हैं। 13 विधायकों के खिलाफ हत्या का प्रयास का मामला है, जिनमें बीजेपी के तीन, जेएमएम के पांच तथा आजसू, बीएसपी, सीपीआइ (एमएल), जेवीएम तथा नवजवान संघर्ष मोर्चा के एक-एक जनप्रतिनिधि शामिल हैं। तीन एमएलए के खिलाफ महिलाओं पर अत्याचार के केस दर्ज हैं। वहीं एक विधायक के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज है। प्रार्थी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का स्पीडी ट्रायल करवाने का आग्रह कोर्ट से किया है।
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