नई दिल्ली: श्रीलंका में रविवार ईस्टर पर्व के अवसर पर लगातार हुए 8 बम धमाकों से पूरा विश्व स्तब्ध रह गया था। इन धमाकों में 290 लोगों की मौत हुई है, जबकि 500 लोग घायल हैं। किसी आतंकी संगठन ने अभी तक इन आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन विदेशी मीडिया में नेशनल तौहीद जमात का नाम लिया जा रहा है, जो कि एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन है।

  • तमिलनाडु में भी है सक्रिय

इसका एक धड़ा तमिलनाडु में भी सक्रिय बताया जाता है। मिली जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका पुलिस के मुख्य अधिकारी ने 10 दिन पहले अलर्ट किया था कि देशभर के मुख्य चर्चों में ऐसे हमले हो सकते हैं। वहां के सीनियर अधिकारियों को यह चेतावनी पुलिस चीफ पूजुथ जयसुंद्रा ने 11 अप्रैल को दी थी। अपनी तरफ से भेजे गए अलर्ट में जयसुंद्रा ने लिखा था, ‘विदेशी खुफिया विभाग ने जानकारी दी है कि नेशनल तौहीद जमात नाम का संगठन सूइसाइड हमलों की तैयारी कर रहा है।’

हालांकि इस मामले में खुफिया एजेंसियों का शक कई और संगठनों पर भी है, लेकिन शक के दायरे में पहले नंबर पर तौहीद जमात ही है। आत्मघाती बम का आविष्कार दशकों पहले तमिल ईलम के लिबरेशन टाइगर्स द्वारा किया गया था, लेकिन रविवार को श्रीलंका में जो हमले हुए वे इस्लामिक संगठनों द्वारा कराए जाने का प्रमाण दे रहे हैं। श्रीलंका तौहीद जमात हमेशा से ही वहाबी प्रचार और प्रसार के लिए जाना जाता रहा है। उसका खिंचाव देश के पूर्वी प्रांत की तरफ ज्यादा पाया गया है।

वह वहां कट्टरपंथी संदेशों के प्रसार के लिए महिलाओं के लिए बुर्का और मस्जिदों के निर्माण के साथ शरिया कानून को आगे बढ़ाने में लगा है। श्रीलंका में ये सीरियल बम धमाके ठीक उसी तरह किए गए हैं, जैसे कि 2016 में ढाका में होली आर्टिशन बेकरी पर आत्मघाती हमला किया गया था। उस हमले में स्थानीय युवकों की संलिप्तता पाई गई थी, लेकिन उन्हें ट्रेनिंग इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने दी थी। अब तौहीद जमात आत्मघाती हमलों में शामिल है या नहीं, इसे लेकर अभी स्थित साफ नहीं है। पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही स्थिति साफ होगी। लेकिन इतना जरूर है कि अब जिहादी आतंकवाद श्रीलंका में भी अपने पैर पसार चुका है।

चूंकि इस हमले को अंजाम देने के लिए ईस्टर जैसे पवित्र पर्व को चुना गया और उसमें गिरजाघरों को निशाना बनाया गया, इसलिए साफ है कि इसमें निशाना ईसाई धर्म के लोग ही थे और इससे किसी बड़े इस्लामिक जिहाद के भी संकेत नहीं मिलते। शुरुआती आकलन से लग रहा है कि हमले के पीछे लंका के कट्टरपंथी मुसलमान हो सकते हैं। लेकिन आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों का कहना है कि जिस स्तर के अटैक किए गए हैं उस स्तर के अटैक किसी स्थानीय समूह द्वारा बिना किसी बाहरी फोर्स की मदद के अंजाम दिए जाने मुश्किल हैं।

यह श्रीलंका का एक मुस्लिम चरमपंथी संगठन है, 2014 में उस वक्त आया जब इसके सचिव अब्दुल रैजिक ने बौद्ध धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे। इस संगठन पर वहाबी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने का भी आरोप है। पिछले साल यह संगठन उस वक्त सुर्खियों में आया था जब इसने भगवान बुद्ध की मूर्तियां तोड़ी थीं। जिस तरह श्रीलंका में यह आतंकी संगठन श्री लंका तोहिद जमात के नाम से जाना जाता है, उसी तरह तमिलनाडु में यह संगठन तमिलनाडु तौहीद जमात के नाम से सक्रिय है।

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