जमशेदपुर : टाटा स्टील के एमडी सह सीइओ ग्लोबल टीवी नरेंद्रन ने नोवल कोरोना वायरस को लेकर उत्पादन में की गयी कटौती के बाद वेतन या नौकरी में कटौती की बातों से साफ तौर पर इनकार कर दिया है. एक अंग्रेजी अखबार को टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन द्वारा दिये गये इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि क्या टाटा स्टील इस महामारी के कारण नौकरी या वेतन में कटौती करने पर विचार कर रही है. इस पर एमडी ने कहा कि अभी कंपनी का ध्यान वर्तमान में मौजूद कार्यबल (कर्मचारी या ऑफिसर) की उत्पादकता को बढ़ाया जाये और इसको और विकसित किया जा सके. एमडी ने कहा कि जो लोग भी कंपनी के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से जुड़े हुए है, उनको वे लोग हर तरह से सपोर्ट कर रहे है. जैसी ही हालात संभलते है, तब लंबे अवधि के लिए प्लानिंग की जायेगी ताकि प्रोडक्टिविटी (उत्पादकता) को और बेहतर किया जा सके. एमडी ने साफ तौर पर कहा कि अभी कोई कठोर फैसला नहीं लेने जा रहे है. एमडी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान में जो महामारी की स्थिति है, उस प र बिना किसी समझौता किये हुए ढील दी जा सकती है. भारत में बिना अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाये हुए ही स्वास्थ्य या जीवन से समझौता किये बगैर ही लॉकडाउन में ढील दी जा सकती है. इसकी संभावनाएं देश में मौजूद है. यह पूछे जाने पर कि क्या लॉकडाउन हटेगा तो क्या हालात होंगे और बाजार का डिमांड कैसा रहेगा, इस पर एमडी ने कहा कि ऐसी उम्मीद कम है कि लॉकडाउन को तत्काल पूरे तौर पर हटा लिया जायेगा क्योंकि अभी हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हुए है. स्थिति सामान्य होने में कम से कम छह माह से लेकर एक साल तक का समय जरूर लग सकता है. वैसे यह तय करेगा कि हम लोग कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ाई कैसे लड़ रहे है. स्टील सेक्टर को अनिवार्य सेवा का दर्जा दिया गया है, ऐसे में उत्पादन में कितनी कटौती की गयी है, इस पर एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि निश्चित तौर पर लॉकडाउन एक चुनौती का समय है. कलिंगानगर, जमशेदपुर और अंगुल जैसे स्टील उत्पादक प्लांट को संचालित करने की अनुमति मिली हुई थी, लेकिन सिर्फ अकेले स्टील नहीं बलन सकता है. इसके सपोर्ट में काफी खनिज और अन्य सामानों की जरूरत होती है, जिसको लेने में दिक्कतें थी. ऊपर से कार्यस्थल पर ज्यादा कर्माचरियों को काम पर बुलाया जाना भी चुनौतीपूर्ण काम था. इसको पहले सप्ताह निबटने के बाद कच्चे माल को खरीदने के बजाय कच्चे माल का बेहतर उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए काम किया. इसके बाद अभी उत्पादन को करीब 50 फीसदी पर ले जाकर कंपनी का संचालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अभी कस्टमर, टेक्निशियन सबका अभाव है. इसके अलावा उत्पादन को बढ़ाने के लिए ज्यादा श्रमिक को काम पर लगा नहीं सकते है. इस कारण हालात को देखते हुए कदम उठाये जायेंगे. टाटा स्टील के यूरोप प्लांट के कारोबार पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यूरोप में कोई लॉकडाउन नहीं है. वहां ऑटो सेक्टर की कंपनियों में मंदी है. कई ऑटो कंपनियां बंद है, जो स्टील की खरीद करते है. ऐसे में वहां भी बिक्री में काफी ज्यादा गिरावट है. लेकिन पैकेजिंग के क्षेत्र में डिमांड है. जहां तक टाटा स्टील के यूरोप प्लांट के कारोबार का सवाल है तो वहां 70 फीसदी तक की बिक्री हो रही है और इस्टर के बाद हालात कुछ सामान्य हो सकते है. टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि दो से तीन सप्ताह में कंपनी के रेवेन्यू (राजस्व) में गिरावट दर्ज की गयी है. लेकिन इससे जो लांग टर्म प्लानिंग (दीर्घकालिक योजनाएं) है, उसको समय के साथ योजनाओं को पूरा करने का काम अभी चलता रहेगा. उन्होंने सरकार को इस इंटरव्यू के माध्यम से सलाह दी कि अभी तरलता (लिक्विडिटी, जिसको नगदी कहा जाता है) की काफी कमी होने जा रही है. लघु और मंझोले उद्योगों के अलावा बड़े व्यवसायों के लिए यह कमी होने वाली है. एक मुश्किल दौर से पहले ही कंपनियां गुजर ही थी, ऊपर से इस महामारी के बाद से लिक्विडिटी की दिक्कतें होंगी, जिसके लिए सरकार को पहला कदम यह उठाना चाहिए कि बैंकों के साथ मिलकर बाजार में कैसे लिक्विडिटी बनी रहे, यह सुनिश्चित कराया जाये ताकि इसका लाभ उद्योगों को हो सके