आये दिन हम कोरोना से जुड़े कई दिल दहला देने वाले घटना से रूबरुः हो रहे है, लेकिन आज गोरखपुर में एक ऐसी घटना घटी है जो हमे ये सोचने पर मजबूर कर देती है की आखिर इंसान कितना मजबूर हो सकता है। गरीबी और मजबूरी की हद तो तब हो गयी जब एक साल के छोटे बच्चे को अपने ही पिता का शव तक  नसीब नहीं हुआ और उसे उसके पुतले का दाह संस्कार करना पड़ा। गोरखपुर निवासी सुनील (37) की दिल्ली में चेचक से मौत हो गई। दिल्ली पुलिस ने किसी तरह परिवार को गोरखपुर में उसकी मौत की खबर दी। गरीब पत्नी के पास पति की लाश ले जाने के लिए पैसे नहीं थे, ऊपर से लॉकडाउन। पत्नी ने ग्राम प्रधान व अन्य लोगों से मदद मांगी, लेकिन मायूसी हाथ लगी। बेबस होकर पत्नी पूनम ने पति की जगह उसके पुतले का गांव में अंतिम संस्कार कर दिया।
इसके साथ तहसीलदार से दिल्ली पुलिस को मैसेज भिजवा दिया कि पुलिस उसके पति का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही कर दे। हो सके तो अस्थियां पीड़ितों के गांव भेज दी जाएं। अब दिल्ली पुलिस भी पसोपेश में है। फिलहाल सुनील के शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है।

मूल रूप से गांव डुमरी-खुर्द, चौरी-चौरा (गोरखपुर) निवासी सुनील दिल्ली के भारत नगर स्थित प्रताप बाग इलाके में किराए के मकान में रहता था और यहीं मजदूरी करता था। परिवार में पत्नी पूनम, चार बेटियां और एक साल का बेटा है। सुनील की बड़ी बेटी 10 साल की है। गांव में उसकी कोई जमीन नहीं है और परिवार झोपड़ी में रहता है। लॉकडाउन की वजह से सुनील दिल्ली में ही फंस गया। इस बीच उसे चेचक हो गया। 11 अप्रैल को तबीयत बिगड़ी तो स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने उसे बाड़ा हिंदूराव अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां से उसे अलग-अलग तीन अस्पताल में रेफर किया गया। सफदरजंग अस्पताल में 14 अप्रैल को सुनील की मौत हो गई। उसकी कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आई। इधर, परिवार सुनील को फोन करता रहा, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई। क्योंकि, वह अस्पताल में जिंदगी-मौत से लड़ रहा था और मोबाइल उसके कमरे पर था।

लगातार फोन आने की वजह से मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई। पुलिस ने मोबाइल को चार्ज किया। इस बीच उसके घर से कॉल आई तो पुलिस ने सुनील की पत्नी को उसकी मौत की खबर दी। आग्रह किया कि वह शव को दिल्ली आकर ले जाए। यह सुनते ही पूनम बिलख उठी, लेकिन उसके पास इतने रुपये नहीं हैं कि वह दिल्ली आकर लाश ले जा सके। कोई उसकी मदद को भी तैयार नहीं हुआ। मजबूर होकर पूनम ने तहसीलदार के जरिए संदेश भिजवाकर सुनील का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही करने के लिए कह दिया। पूनम ने सुनील के शव की जगह उसका पुतला बनवाकर एक साल के बेटे से अंतिम संस्कार करा दिया।

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