निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज मामले में अपराध शाखा ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में सामने आया है कि मरकज से लोग विदेश भी जाते थे, जिनका उद्देश्य धर्म प्रचार नहीं बल्कि पैसा लाना था। पुलिस को इस बात के भी सुबूत मिले हैं कि कई देशों के राष्ट्रियाध्यक्ष की तरफ से इन्हें पैसे भी मिलते थे। साथ ही जांच में ये बात भी सामने आई है कि मरकज से लोग चीन भी गए थे और चीन से लोग मरकज में भी आए थे।
जांच में मरकज से 150 से ज्यादा देशों में जाने बात भी सामने आ चुकी है। अभी तक तो हम सभी यही जानते थे कि मरकज से जुड़े लोगों को दूसरे देशों में धर्म प्रचार के लिए भेजा जाता था लेकिन जांच में पाया गया कि इनका असली मकसद दूसरे देशों से पैसा लाना था। मतलब धर्म का प्रचार करने के नाम पर विदेशों से पैसा इकट्ठा किया जाता था। मरकज से जाने वाला व्यक्ति खुद ही अपना विदेश जाने का खर्च भी उठाता था। हैसियत के हिसाब से व्यक्ति को विदेश भेजा जाता था।
यदि कोई पैसे वाला है तो उसे विदेश भेजा जाता था और कम पैसे वाला है तो उसे भारत में ही किसी अन्य राज्य में भेज दिया जाता था। जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि मरकज के खातों में विदेशों से बड़ा फंड भी आया है। संगम विहार में रहने वाले जिस जमाती ने संगम विहार व देवली में जो तीन हॉटस्पॉट बनाए हैं वह मरकज के कहने पर फिजी गया था। फिजी से दिल्ली आने के बाद वह अपने घर जाने के बजाय मरकज में गया था और वहीं पर तीन दिन रहा था। जांच में पाया गया कि मरकज में चीन से भी नौ जमाती आए थे। इन जमातियों को पुल प्रह्लादपुर रेलवे कंपाउंड में बने क्वारंटीन सेंटर में रखा गया है। माना जा रहा है कि विदेश जाने वाले लोग कोरोना महामारी से पीड़ित हो गए हों।
अपराध शाखा ने मौलाना साद को टेस्ट कराने का कहा
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मरकज के मौलाना मोहम्मद साद को कहा है कि वह सरकारी अस्पताल में कोरोना का टेस्ट कराएं, ताकि पूछताछ में शामिल किया जा सके। अपराध शाखा के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट मिलने के बाद ही पुलिस मौलाना साद को जांच के लिए बुलाएगी। साद काफी समय से जामिया नगर के जाकिर नगर में रह रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि वह जानबूझकर टेस्ट नहीं करा रहे हैं।

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