अब तक कोरोना से साढ़े चार हजार संक्रमितों में से 1500 इसी जमात से

तबलीगी जमात, आज इस संगठन का नाम सुनते ही एक अजीब सी धारणा लोगों के दिल में उत्पन्न होने लगी है, क्योंकि अब यह साफ हो चुका है कि देश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ फैलाने में इस जमात के लोगों की हठधर्मिता ज्यादा हद तक जिम्मेवार है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें, तो अब तक देश भर में चार हजार से अधिक कोरोना संक्रमितों में से एक तिहाई से अधिक यानी लगभग पंद्रह सौ मरीज इसी जमात के हैं, जो मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित जलसे में शामिल हुए थे और बाद में देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल गये। इन डेढ़ हजार संक्रमित जमातियों ने देश भर में न जाने कितने लोगों को संक्रमित किया होगा, इसकी कल्पना मात्र से सिहरन पैदा होती है।  हद तो तब है, जब पुलिस-प्रशासन के लोग इनसे आग्रह करने जाते हैं कि आप जांच करवा लें, तो वे उन पर संगठित तरीके से हमला कर रहे हैं। बरेली में थाना चौकी फूंकने पहुंच गये। इंदौर में दौड़ा-दौड़ा कर मारा। एक दर्जन जगहों पर जमात के लोगों ने पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों के ऊपर हमला किया है। नर्सों के समक्ष अश्लील हरकतें कीं। डॉक्टरों पर थूक रहे हैं। इनके अड़ियल रवैये से समाज के एक बड़े वर्ग में यह धारणा बनती जा रही है कि  यह संगठन धर्म की आड़ में समाज को नुकसान पहुंचा रहा है, बीमारी बांट रहा है। कोरोना संकट और तबलीगी जमात के रिश्तों की पड़ताल करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

धर्मगुरु अगर आगे नहीं आये, तो बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा देश को
घटना दो अप्रैल की है। विश्वप्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के बंगलुरु स्थित दफ्तर के वरिष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर मुजीब मोहम्मद ने अपने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट डाला। उसमें उसने लिखा, चलो हम सब मिलकर खुले में छींके, वायरस फैलाएं। मुजीब उच्च शिक्षा प्राप्त है और उसका बायोडाटा देख कर कोई भी चौंक जायेगा। वह सीनियर टेक्नोलॉजी आर्किटेक्ट के साथ सर्टिफाइड मशीन लर्निंग एक्सपर्ट, सर्टिफाइड ब्लॉकचेन एक्सपर्ट और इस्लामिक फाइनांस एंड बैंकिंग का एक्सपर्ट है। उसके इस पोस्ट के बाद पुलिस सक्रिय हुई और मुजीब को पकड़ा गया। उसने पुलिस के सामने कोई खेद व्यक्त नहीं किया, क्योंकि वह आज भी मानता है कि इस्लाम माननेवालों को कोरोना से कोई खतरा नहीं है। उसका यह भी मानना है कि कोरोना केवल गैर-इस्लामिक लोगों को ही संक्रमित करता है। मुजीब तबलीगी जमात से भी जुड़ा है और इसके कई जलसों में शामिल हो चुका है।
एक उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति के विचार इतने प्रदूषित हो सकते हैं, इसकी कल्पना भी कठिन है। मुजीब अकेला नहीं है। आज भारत में उसके जैसे हजारों लोग हैं, जो इस तरह की प्रदूषित मानसिकता रखते हैं। यह मानसिकता कोरोना संकट के इस दौर में बेहद खतरनाक परिणाम दे रही है। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या चार हजार से अधिक हो चुकी है और एक सौ से अधिक लोग मर चुके हैं। यह वायरस तेजी से फैल रहा है और इसने उन राज्यों को भी अपनी चपेट में ले लिया है, जो अब तक अछूते थे। इसमें झारखंड भी है, जहां अब तक मिले चार संक्रमित मरीजों में तीन इसी जमात से जुड़े हैं।
30 मार्च को जब दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज से लोगों को निकाला गया और उनमें कोरोना संक्रमित मरीज मिलने लगे, तब पता चला कि यह संगठन इस हद तक कट्टर है।
इस जमात ने न केवल विदेशियों को यहां बुलाया, बल्कि कानून को ठेंगा दिखा कर उनके मुंह से जहर उगलवाया। तमाम सरकारी निर्देशों का उल्लंघन कर जलसे का आयोजन किया, जहां विदेशियों ने पर्यटक के नाम पर वीजा लेकर धर्म प्रचार की आड़ में जहरीली तकरीरें कीं। कोरोना से निडर रहने का पाठ पढ़ाया गया। यदि यह साजिश नहीं थी, तो फिर जमात ने देशबंदी के बावजूद हजारों लोगों को एक साथ क्यों रखा। यही नहीं, उसने विदेशियों को अपने लोगों के साथ देश के दूसरे हिस्सों में भेज दिया, जहां वे कानून को ताक पर रख कर अपनी नीतियों का प्रचार-प्रसार करने लगे।

तबलीगी जमात से देश परेशान
इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए 93 साल पहले भारत के देवबंद में बनाया गया तबलीगी जमात केवल भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में कोरोना के प्रसार का सबसे बड़ा वाहक बन गया है। तबलीगी जमात की कट्टरपंथी सोच की सजा आज भारत सहित कई देश भुगत रहे हैं।

क्या है तबलीगी जमात
तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करनेवाला, वहीं जमात का मतलब होता है समूह। यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करनेवाला समूह। तबलीगी जमात से जुड़े लोग वहाबी विचारधारा को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं।

कहां से आता है पैसा
दावा किया जाता है कि तबलीगी जमात के लोग अपना पैसा लगाकर मजहब के लिए काम करते हैं, लेकिन यह बात पूरी तरह सत्य नहीं है। सूत्रों के अनुसार जमात के पास पैसा जकात से और विदेशी चंदे से आता है। सऊदी अरब के कुछ संगठन दुनिया भर के मुस्लिम संगठनों और यहां तक कि आतंकवादी संगठनों को पैसा देते हैं। इसमें तबलीगी जमात भी शामिल है।

कई देशों में प्रतिबंधित
दुनिया के कई देशों ने तबलीगी जमात को प्रतिबंधित सूची में रखा है। इनमें प्रमुख हैं रूस, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान और कजाकिस्तान। इन देशों का मानना है कि जमात मुसलमानों को कट्टरवादी बनाने का काम करता है। 2011 में विकीलिक्स द्वारा जारी एक दस्तावेज के अनुसार अल-कायदा तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मुख्यालय का इस्तेमाल यात्रा के कागजात बनाने और ठहरने के लिए करता है। उल्लेखनीय है कि जमात का कोई संविधान और पंजीकरण न होने से आने और जाने वालों का लेखा-जोखा नहीं रखा जाता है।

दकियानूसी विचारधारा
निजामुद्दीन की घटना से दुनिया को जमात की दकियानूसी बातें पता चलीं। केवल भारत ही नहीं, अनेक देशों में जमात ने करोड़ों लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। भारत में इस जमात ने कैसे संक्रमण फैलाया है, इसका अंदाजा इसी बात से मिल जाता है कि देश के चार हजार संक्रमितों में से करीब डेढ़ हजार इससे जुड़े हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश और अंडमान निकोबार तक जमात ने इस खतरनाक बीमारी को फैला दिया है।
तबलीगी जमात के जहरीले विचारों की बानगी 31 मार्च को उस समय मिली, जब इस संगठन के प्रमुख मोहम्मद साद ने निजामुद्दीन मरकज में एकत्र दो हजार से अधिक जमातियों तबलीगी जमाती मुसलमानों से कहा- डटे रहो, मस्जिद से बाहर न जाओ। और जब पुलिस ने कार्यवाही की तो मुसलमानों ने जानबूझ कर जवानों और अफसरों पर थूका। इससे पहले 26 फरवरी को पश्चिम बंगाल से एक वीडियो सामने आया, जिसमें जमात का एक मौलवी मौलाना अब्बास सिद्दीकी भारत के करोड़ों लोगों के कोरोना से मरने की दुआ कर रहा है।
कानून का उल्लंघन : तबलीगी जमात ने जलसा आयोजित कर न केवल सरकारी निर्देशों का उल्लंघन किया, बल्कि पर्यटक के रूप में आये विदेशियों को धर्म प्रचार के काम में लगा दिया। ये लोग देश के विभिन्न इलाकों में जाकर छिप गये और अपने जहरीले विचार और कोरोना का संक्रमण फैलाने लगे।
जमात की कारस्तानी तब सामने आयी, जब देश के विभिन्न हिस्सों में छिपे विदेशी जमातियों को पकड़ा जाने लगा। इनमें से अधिकांश या तो कोरोना संक्रमित निकले या फिर संक्रमण फैलाने का कारण बने, क्योंकि इनकी तकरीरों में संक्रमित लोग भी शामिल होते रहे। तबलीगी जमात को छोड़ दें तो आज देश का हर देशभक्त मुसलमान कोरोना के खिलाफ जंग में देश के साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़ रहा है। लोगों की मदद में आगे आ रहा है। समाज की समरसता को जोड़ रहा है। लेकिन इतना ही काफी नहीं है। अब धर्मगुरुओं को भी खुल कर सामने आना होगा और कोरोना की जांच से छिप रहे तबलीगी जमात के लोगों को समझाना होगा कि वे रोग को छिपाये नहीं, इलाज करायें। जाहिर है, अगर ऐसा नहीं हुआ, तो हर हिंदुस्तानी को बड़ा खामियाजा भुगतना होगा।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version