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    Home»Top Story»रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं
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    रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं

    bhanu priyaBy bhanu priyaApril 30, 2021No Comments6 Mins Read
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    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में रेमडेसिविर इंजेक्शन और आॅक्सीजन की कालाबाजारी रोकने को लेकर राज्य सरकार और ड्रग कंट्रोलर को कड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने मौखिक कहा कि कोरोना से लड़ने में जो दवा सहायक है, उनकी उपलब्धता सुनिश्चित हो, अस्पतालों में आॅक्सीजन बेड की बिक्री किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जायेगी। दवा दुकानों में कोरोना से लड़ने वाली दवा उपलब्ध रहे, ड्रग कंट्रोलर इसे सुनिश्चित करें। अस्पतालों के आसपास सादे ड्रेस में सीआइडी के पुलिसकर्मी तैनात किये जायें, जो इस बात पर निगाह रखें कि अस्पतालों में बेड की बिक्री किसी हाल में नहीं हो। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गुरुवार को रिम्स की लचर व्यवस्था और राज्य में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को लेकर कोर्ट के स्वत: संज्ञान पर सुनवाई की। खंडपीठ ने न्यूज 11 भारत चैनल द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से संबंधित स्टिंग आॅपरेशन पर चर्चा की और इसे संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी कैसे हो रही है। महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करनेवाले राजीव कुमार सिंह की गिरफ्तारी कर ली गयी है। उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गयी है। इस पर कोर्ट ने रांची एसएसपी को अगली सुनवाई में इसकी जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने एक ट्रैकिंग सिस्टम चालू किया है। इसके तहत रेमडेसिविर सहित कोरोना की कौन सी दवा, किस मरीज को किस अस्पताल के माध्यम से और किस डॉक्टर के द्वारा लिखी जा रही है, इसकी पूरी जानकारी राज्य सरकार के पास रहेगी। साथ ही जिस मरीज को यह दवा मिलेगी, उसका फोन नंबर भी सरकार के पास उपलब्ध होगा, जिससे उससे संपर्क कर पता किया जायेगा कि उस तक दवा पहुंची है या नहीं। ट्रैकिंग सिस्टम के आधार पर दवा की कालाबाजारी करनेवालों का पता लगाया जा सकेगा और दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष यह बात आयी कि रिम्स में मरीजों से आॅक्सीजन बेड के लिए अवैध रूप से पचास हजार तक की राशि मांगी जा रही है, जिस पर कोर्ट ने मौखिक कहा कि सीआइडी के पुलिसकर्मियों को अस्पतालों के इर्द-गिर्द सादे ड्रेस में तैनात किया जाये, ताकि आॅक्सीजन बेड की बिक्री करनेवालों को पकड़ा जा सके। सीआइडी आॅक्सीजन बेड की बिक्री पर अंकुश के लिए इसकी मॉनिटरिंग करे। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोरोना के बढ़ते मरीजों को देखते हुए झारखंड सरकार ने राज्य में आइसीयू सहित 10 हजार से अधिक आॅक्सीजन बेड तैयार रखा है। कोरोना संक्रमित के रांची के अस्पतालों में दबाव कम करने के लिए रांची और जमशेदपुर को कोविड सर्किट बना दिया गया है, ताकि नजदीक के जिलों में मरीजों को आॅक्सीजन युक्त बेड आसानी से उपलब्ध कराया जा सके।

    सिलेंडर की कमी, लेकिन आॅक्सीजन सरप्लस
    महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य में आॅक्सीजन सरप्लस है। प्रतिदिन झारखंड में 640 मीट्रिक टन आॅक्सीजन का उत्पादन होता है, जबकि राज्य की आवश्यकता प्रतिदिन मात्र 200 मीट्रिक टन आॅक्सीजन की है। राज्य में आॅक्सीजन सिलेंडर की कमी है। इसके लिए 17000 आॅक्सीजन सिलेंडर की मांग गुजरात से की गयी है। महाधिवक्ता ने यह भी बताया कि झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से 3,50,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग की है, लेकिन केंद्र सरकार ने 21 अप्रैल से 30 अप्रैल तक का झारखंड का कोटा 21000 निर्धारित किया है। कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से कहा कि वे इस बात पर विशेष ध्यान दें कि कोरोना वायरस की दवा की कालाबाजारी ना हो। कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से कहा कि राजधानी रांची में कई जगहों पर कोरोना से संबंधित दवा उपलब्ध नहीं है। इसे देखते हुए दवा दुकानों में कोरोना की दवा की आपूर्ति सामान्य रखी जाये। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई छह मई निर्धारित की।

    दवा की कालाबाजारी के आरोप में राजीव सिंह गिरफ्तार

    राज्य में एक तरफ रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना संक्रमितों तक नहीं पहुंच पा रहा, वहीं एक तबका इसकी कालाबाजारी में जुटा है। रांची पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में कांके रोड निवासी राजीव कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर आरोप है कि एक लाख 20 हजार में पांच इंजेक्शन किसी को बेच रहे थे। इधर पुलिस ने राजीव को बुधवार को ही गिरफ्तार कर लिया था। उसके पास से दवा और अन्य सामान भी मिले हैं। ड्रग कंट्रोलर ने इस मामले में कोतवाली थाना में मुकदमा दर्ज करवाया है। गैरजमानती धाराओं में केस दर्ज होने के बाद पूरे मामले को सीआइडी ने टेकओवर कर लिया है। सीआइडी की टीम ने आरोपी के कांके रोड स्थित आवास की तलाशी भी ली। कोविड जांच के बाद आरोपी को जेल भेजा जायेगा। राजीव कुमार को कांके रोड स्थित उनके फ्लैट से दबोचा गया था। जिस कार (जेएच01पी-0044) से इस इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही थी, उसे भी पुलिस ने जब्त कर लिया है। इधर, इस पूरे मामले का अनुसंधान सीआइडी को सुपुर्द कर दिया गया है। इस पूरे मामले पर सीआइडी जल्द अपनी रिपोर्ट देगी। राजीव के संबंध कई बड़े अधिकारियों से रहे हैं। सीआइडी की टीम कालाबाजारी के जरिये खरीदे गये इन पांच इंजेक्शन को भी जब्त कर लिया है।
    हकीकत उलट
    गंभीर संक्रमितों के इलाज में मददगार माने जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की जबरदस्त किल्लत है। सरकार सीधे अपनी मॉनिटरिंग में अस्पतालों के जरिये इसे मरीजों तक पहुंचा रही है। और, दावा यह है कि यह इंजेक्शन सरकार और स्वास्थ्य विभाग की कड़ी निगरानी में मरीजों के नाम पर अलॉट किया जा रहा है। लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है। शिकायत मिल रही है कि इस दवा की कालाबाजारी में बहुत सारे दलाल सक्रिय हो गये हैं। जांच इसकी भी होनी चाहिए कि इनको सरकार के कंट्रोल वाली चीजें कैसे मिल रही है।

    समाज सेवा की आड़ में काला धंधा
    इंजेक्शन बेचने के मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ा राजीव कुमार समाज सेवा का चोला ओढ़ कर दवाओं की कालाबाजारी कर रहा था। वह खुद को लोगों का मददगार होने का दावा करता था। उसने अपनी कार का नाम मिनी अस्पताल दे रखा था। कार में आॅक्सीजन, पीपीइ, किट, ग्लव्स, फेस शिल्ड, मास्क सहित कई सामान भर कर रखे हुए थे। संबंधित कार को भी पुलिस ने जब्त कर लिया है।

     

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