– तीन दिवसीय दौरे पर आये बांग्लादेशी सेना प्रमुख शीर्ष सैन्य नेतृत्व से मिले
– प्रशिक्षण सहयोग के लिए एक कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए
नई दिल्ली। बांग्लादेश के थल सेनाध्यक्ष जनरल एसएम शफीउद्दीन अहमद गुरुवार को भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर राजधानी पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण करने के साथ अपने दौरे की शुरुआत की। इसके बाद उन्हें दिल्ली के साउथ ब्लॉक लॉन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। तीन दिनों की यात्रा के दौरान बांग्लादेशी सेना प्रमुख भारत के शीर्ष सैन्य नेतृत्व से मिलकर बांग्लादेश रक्षा संबंध और रक्षा मुद्दों पर वार्ता करेंगे।
बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण कर भारतीय सशस्त्र बलों के बलिदानी नायकों को श्रद्धांजलि देकर अपनी यात्रा की शुरुआत की। साउथ ब्लॉक लॉन में विजिटिंग जनरल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे से मुलाकात की। सेना प्रमुखों ने दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में प्रशिक्षण, आतंकवाद विरोधी सहयोग और समग्र द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने और मजबूत करने से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
जनरल एसएम शफीउद्दीन अहमद ने दौरे के पहले दिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव और विदेश सचिव से मुलाकात की। उन्हें रक्षा उत्पादन विभाग और आर्मी डिजाइन ब्यूरो के स्वदेशी रक्षा उपकरण निर्माण इको-सिस्टम के बारे में भी जानकारी दी गई। इस दौरान दोनों सेनाओं के बीच संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र, भारत और बांग्लादेश इंस्टीट्यूट ऑफ पीस सपोर्ट ऑपरेशंस ट्रेनिंग, बांग्लादेश के बीच संयुक्त राष्ट्र शांति संचालन और प्रशिक्षण सहयोग के लिए एक कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए।
बांग्लादेश सेना प्रमुख चेन्नई स्थित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में 29 अप्रैल को होने वाली पासिंग आउट परेड के समीक्षा अधिकारी होंगे। वह अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी संग्रहालय का दौरा करेंगे और पासिंग आउट कोर्स के कैडेटों के साथ बातचीत करेंगे। भारत और बांग्लादेश 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान सहयोग और समर्थन की ऐतिहासिक विरासत को साझा करते हैं। रक्षा सहयोग के मुद्दे पर दोनों देशों की तीनों सेनाओं के बीच सक्रिय जुड़ाव, सैन्य प्रमुखों के स्तर पर उच्चस्तरीय आदान-प्रदान, रक्षा सचिवों के बीच वार्षिक संवादों का संचालन और सेवा-विशिष्ट स्टाफ वार्ता शामिल हैं।