विशेष
-पीएम मोदी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी से गरमायी सियासत
-कर्नाटक में बदलेगा सियासी माहौल, देश के दूसरे हिस्सों में भी होगा असर
कर्नाटक में आगामी 10 मई को होनेवाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को लेकर विवादित बयान दिया। उन्होंने पीएम मोदी को जहरीला सांप कह दिया। खड़गे यहीं नहीं रुके। उन्होंने लोगों से कहा कि यदि आप इस जहरीले सांप को छुऐंगे, तो आपकी मौत निश्चित है। यह पहली बार नहीं है, जब खड़गे की जुबान फिसली है। गुजरात चुनाव में भी उन्होंने पीएम मोदी की तुलना रावण से की थी। इससे पहले ‘मौत का सौदागर’ से लेकर ‘नीच’ और ‘कायर’ से लेकर ‘औकात दिखा देंगे’तक के बयान कांग्रेसी नेताओं द्वारा पीएम मोदी के लिए दिये जा चुके हैं। हालांकि हर बार इस तरह की बदजुबानी का चुनावी हथियार कांग्रेस के लिए भोथरा साबित हो चुका है। दूसरी तरफ हर बार भाजपा ने इसे अपने लिए अचूक हथियार बना लिया। इस बार खड़गे की जुबान कर्नाटक चुनाव से पहले फिसली है, तो भाजपा ने एक बार फिर इसे अपना हथियार बना लिया है। हालांकि खड़गे ने अपनी टिप्पणी वापस ले ली है, लेकिन उनके बयान से कांग्रेस को जितना नुकसान पहुंचना था, पहुंच चुका है। कर्नाटक में अब तक रक्षात्मक मुद्रा में दिख रही भाजपा इस बयान के बाद अचानक से हमलावर हो गयी है और उसने कांग्रेस को रक्षात्मक रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है। खड़गे के बयान के राजनीतिक असर का आकलन कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
चुनाव हो या सामान्य दिन, कांग्रेस का कोई न कोई नेता भारतीय जनता पार्टी या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई न कोई मुद्दा दे ही देता है। गुजरात की तरह कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बार फिर भाजपा को मुद्दा दिया है। बयान देते समय वह भूल गये कि उनका यह बयान कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। यह हकीकत है कि कांग्रेस नेताओं ने जब-जब पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित बयान दिया है, तब-तब पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हैं। कर्नाटक के कलबुर्गी में एक चुनावी सभा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा कि पीएम मोदी जहरीले सांप की तरह हैं। आप सोच सकते हैं कि यह जहर है या नहीं। यदि आप इसे चाटते हैं, तो आप मारे जायेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष का यह बयान कर्नाटक चुनाव में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
खड़गे के विवादित बयान के बाद सियासी गलियारे में चुनाव का गुणा-गणित निकाला जा रहा है, क्योंकि पहले भी विवादित बयानों ने चुनाव में हार-जीत तय करने में बड़ी भूमिका निभायी है। भारत की राजनीति में पिछले 16 सालों में चार चुनाव में विवादित टिप्पणी ने जीत-हार तय करने में बड़ी भूमिका निभायी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कर्नाटक चुनाव में खड़गे का बयान कांग्रेस को नुकसान पहुंचायेगा।
जब जुबान फिसलने के कारण वाजपेयी हार गये थे चुनाव
साल था 1962 और देश में तीसरे आम चुनाव की घोषणा हो गयी थी। जनसंघ के टिकट पर उत्तरप्रदेश के बलरामपुर से अटल बिहारी वाजपेयी मैदान में थे। वाजपेयी 1957 में इस सीट से कांग्रेस के हैदर हुसैन को हरा चुके थे। जवाहर लाल नेहरू ने वाजपेयी को हराने के लिए सुभद्रा जोशी को मैदान में उतार दिया। जोशी बलरामपुर में सक्रिय हो गयीं और गली-गली प्रचार करने लगीं। जोशी क्षेत्र में बारहों मास, तीसो दिन (12 महीने और 30 दिन) सेवा करने का संकल्प ले रही थीं। सुभद्रा जोशी पर पलटवार के दौरान ही वाजपेयी की जुबान फिसल गयी और उन्होंने कह दिया कि महिलाएं महीने में कुछ दिन सेवा नहीं कर सकती हैं, फिर सुभद्रा जी कैसे हमेशा यहां सेवा करने का दावा कर रही हैं। जोशी और कांग्रेस ने इसे महिला अपमान से जोड़ दिया। वाजपेयी सफाई देते रहे, लेकिन कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने में सफल रही। चुनाव के जब नतीजे आये, तो अटल बिहारी 2057 वोटों से चुनाव हार चुके थे। हालांकि, 1967 के चुनाव में वाजपेयी ने सुभद्रा जोशी को भारी मतों से हराया था।
क्या मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर लिया सेल्फ गोल
जानकारों का मानना है कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने ऐसा बयान देकर सेल्फ गोल ही किया है। कांग्रेस का हर विवादित बयान भाजपा के लिए फायदे का सौदा होता है।‘चौकीदार चोर है’ से लेकर अडाणी-अंबानी मुद्दे तक, जब भी कांग्रेस ने ऐसे बयान दिये हैं, भाजपा को चुनावी फायदा मिल जाता है। यह चुनाव के लिए अहम मोड़ भी साबित हो सकता है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कहा जा रहा है कि कांग्रेस भाजपा पर बढ़त बना चुकी है। लेकिन अति उत्साह में कांग्रेस नेता यह भूल गये कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमलों के बाद कांग्रेस को कभी फायदा नहीं हुआ।
इस तरह की भाषा कांग्रेस की नहीं हो सकती
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के नेताओं की बदजुबानी पार्टी का संस्कार नहीं है। महात्मा गांधी से लेकर जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की कांग्रेस ने कभी किसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। उस दौर में कांग्रेस ही नहीं, तमाम राजनीतिक दल अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ कुछ भी बोलते समय इस बात का पूरा ध्यान रखते थे कि इससे किसी की व्यक्तिगत छवि को नुकसान नहीं पहुंचे। लेकिन आज कांग्रेस के नेता उस महान परंपरा को भूल कर अक्सर बदजुबानी पर उतर जा रहे हैं, जिसका नुकसान पार्टी को ही उठाना पड़ता है।
कांग्रेस से हो गयी है बड़ी चुनावी गलती
कर्नाटक में पीएम मोदी के खिलाफ खड़गे के बयान से कांग्रेस को चुनावी घाटा हो सकता है। यह बयान कर्नाटक चुनाव में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। कर्नाटक के लोग किसी के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियों को स्वीकार नहीं करते हैं। पीएम मोदी की तो बात ही कुछ और है। कांग्रेस अध्यक्ष भले ही बयान वापस ले चुके हैं, लेकिन यह चूक उनकी मुश्किलें बढ़ा सकती है।
भाजपा को मिल गया ब्रह्मास्त्र
बहरहाल, खड़गे के बयान के बाद भावना का ‘ब्रह्मास्त्र’ भाजपा ने चल दिया है। मौका कांग्रेस ने दिया है या कि मौका भाजपा ने ढूंढ़ लिया है, इस पर दो मत हो सकते हैं। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान को एक संपूर्ण पैकेज के रूप में मतदाताओं के समक्ष परोसा जा चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान को भाजपा ने प्रधानमंत्री और देश के अपमान से जोड़ा है। पार्टी बतौर अध्यक्ष खड़गे के ‘रावण’ और सोनिया गांधी के ‘मौत का सौदागर’वाले बयानों की याद भी दिला रही है। इन बयानों को 2007 और 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए ‘फलदायी’और स्वयं कांग्रेस के लिए ‘आत्मघाती’ साबित होना बताया जाता रहा है।
ऐसे में यह सवाल बड़ा हो जाता है कि क्या मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान एक बार फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में निर्णायक साबित होगा? क्या इस बयान से भाजपा को फायदा और कांग्रेस को नुकसान होगा? कई राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि अगर कांग्रेस नेताओं ने ‘आत्मघाती बयान’ नहीं दिये होते, तो कर्नाटक में कांग्रेस कुछ और आगे होती। खुद भाजपा के नेता भी ऐसा ही दावा करते हैं।
बहरहाल, खड़गे का यह बयान कांग्रेस के लिए कितना नुकसानदायक होगा, यह बहुत कुछ प्रधानमंत्री के पलटवार पर निर्भर करेगा। प्रधानमंत्री 29 अप्रैल को बेलगावी से चुनावी शंखनाद करेंगे।