मंगरबीघा खुरी नदी घाट पर हुआ अंतिम संस्कार, हजारों लोगों ने दी श्रद्धांजलि
नवादा। नवादा जिले की चर्चित राजनीतिक हस्ती पूर्व मंत्री और करीब तीन दशक तक गोविंदपुर और नवादा की विधायक रहीं गायत्री देवी का रविवार को निधन के बाद नवादा के मंगर बीघा खुरी नदी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न कराई गई। मुखाग्नि उनके जेष्ठ पुत्र पूर्व विधायक कौशल यादव तथा छोटे पुत्र विधान चंद्र राय ने दी ।गार्ड ऑफ ऑनर के बाद उनके पुत्रों ने उन्हें मुखाग्नि देकर अग्नि को समर्पित किया। जब तक सूरज चांद रहेगा गायत्री तेरा नाम रहेगा के जयघोष भी हो रहे थे। पटना के एक निजी नर्सिंग होम में निधन के बाद उनके शव को गाड़ियों के काफिले के साथ नवादा लाया गया ।उनके पैतृक आवास पर हजारों लोगों ने उपस्थित होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि देने वालों में नवादा के विधायक विभा देवी ,विधान पार्षद अशोक यादव ,पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार ,,वरिष्ठ चिकित्सक डॉ शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व सिविल सर्जन डॉ विमल कुमार सिंह , राजीव सिन्हा, पूर्व विधान पार्षद सलमान रागीव, पूर्व विधायक प्रदीप महतो के साथही भारी संख्या में पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों ने फूल माला चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित की । उनका अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ नवादा के मंगर बीघा खुरी नदी घाट पर संपन्न कराने के दौरान प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी भी उपस्थित थे।
बीडियो अंजनी कुमार की देखरेख में राजकीय व्यवस्था को अंतिम रूप दिया गया । पिछले कई दिनों से वे पटना के एक निजी अस्पताल में इलाजरत थी। समर्थक उनके सलामती की प्रार्थना ईश्वर से कर रहे थे। पर उन्हें बचाया नहीं जा सका । गायत्री देवी जदयू नेता और पूर्व विधायक कौशल यादव की मां और पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव की सासू मां थी। गायत्री देवी के पति युगल किशोर यादव भी बिहार सरकार में मंत्री रहे थे। जिनकी मौत एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी। 3 दशक से ज्यादा समय तक वे नवादा की राजनीत का केंद्र बनीं रही थी। 27 वर्षों तक विधायक, बिहार सरकार में मंत्री और कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रहीं।
गायत्री देवी का राजनीतिक सफर
गायत्री देवी का राजनीतिक सफर 1970 से शुरू हुआ। 1969 में इनके पति युगल किशोर सिंह यादव लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर गोविंदपुर विधानसभा से एमएलए बने थे। उस वक्त दरोगा राय मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने थे। असमय उनका निधन हो गया था।पति की मौत के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए वे विधानसभा का चुनाव लड़ी और 1970 में पहली बार गोविंदपुर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव जीती। उसके बाद 1972 -77 तक कांग्रेस के टिकट पर नवादा की विधायक रहीं। फिर 1980, 85, 90 यानि लगातार 15 साल तक गोविंदपुर से कांग्रेस की विधायक रहीं। 1995 में प्रोफेसर केवी यादव से हार का सामना करना पड़ा ।2000 के चुनाव में राजद के टिकट पर गोविंदपुर विधानसभा से ही चुनाव जीती। 2005 तक विधायक रहने के बाद उनकी राजनीतिक पारी का अंत हुआ।
2005 के चुनाव में उनके पुत्र कौशल यादव जीते और परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। इस प्रकार 27 साल तक गायत्री देवी विधायक रहीं। पूर्व विधायक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नरेंद्र कुमार ने बताया कि सत्येंद्र नारायण सिंह के मंत्रिमंडल में वह मंत्री रहीं थीं। उनके निधन से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में शोक की लहर है। नरेंद्र कुमार संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि हम दोनों के बीच देवर – भाभी के रिश्ते थे।जीवन भर रिश्ते काफी मधुर रहे।
तीन संतान की मां थीं
पूर्व मंत्री गायत्री देवी को 3 संताने हैं। दो पुत्र पूर्व विधायक कौशल यादव और विधान चंद्र राय तथा एक पुत्री कुमारी रीता हैं। भरा पूरा परिवार है। गायत्री देवी के निधन के बाद नवादा में शोक है।