आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत राज में रांची में हुए जमीन महाघोटाले के बारे में कई लोगों से बातचीत कर हमने इस गोरखधंधे के बारे में विस्तार से समझने का प्रयास किया है। राज्य में हुए जमीन घोटाले के सामने अब खान घोटाला बौना लगने लगा है। यह जमीन घोटोला 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है। उन्होंने कहा कि सत्ता के संरक्षण में दलालों, कुछ धन लोभी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिल कर भ्रष्टाचार का ऐसा काम किया है, जिसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी। इसकी जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे कई बड़े सरकारी-गैर सरकारी लुटेरे लाइन लगा कर जेल जाते देखे जायेंगे।
लॉकडाउन के समय इजी मनी मेकिंग का रास्ता बना:
बाबूलाल ने कहा कि लोग बताते हैं कि हेमंत सरकार बनने के चंद महीने बाद ही कोविड लॉक डाउन लग गया। सरकारी-गैर सरकारी कामकाज, रोजगार ठप पड़ गये। बेईमानों ने इस अवधि में इजी मनी मेकिंग का सबसे आसान रास्ता जमीन की हेराफेरी को बनाया। रांची में इस गोरखधंधे को अच्छे से चलाने के लिए ‘सर्टिफाइड भ्रष्ट’ अफसर की प्रेम से खोज हुई। कोडरमा में सरकारी पेड़ तक कटवा कर बेच खाने के मामले में हाइकोर्ट से जमानत प्राप्त चार्जशीटेड आइएएस अधिकारी छवि रंजन को इस ‘काम’ के लिए सही आदमी समझ कर लाया गया। उन्हें यह समझाया गया कि तुम मन माफिक धंधा चलाओ-बदले में पेड़ काटने के केस से बचाने में मदद लो। इस तर्ज़ पर जमीन लूट योजना का नियंत्रण ओर डायरेक्शन सत्ता के मशहूर उस दलाल ने संभाला, जो अभी जेल में बंद है।
पहला शिकार मेडिका अस्पताल के बगल की जमीन:
बाबूलाल ने कहा कि पहला शिकार मेडिका अस्पताल के बगल वाली जमीन को बनाया गया। भारी संख्या में पुलिस के बल पर जमीन कब्जा करवाया गया। मुझे यह भी जानकारी मिली है कि इस गोरखधंधे को अंजाम देने के लिए दो सीनियर अफसरों ने तो उस दिन छुट्टी लेकर जमीन कब्जाने का नियंत्रण किया, ताकि हंगामा हो, लोग पूछताछ करें तो बता सकें कि वे तो छुट्टी पर हैं, कुछ पता ही नहीं है। इस जमीन कब्जाने की योजना की सफलता से इन बेइमानों का मनोबल इतना बढ़ गया कि इन लोगों ने कागजातों में हेराफेरी कर जमीन कब्जाने के धंधे को मोटी कमाई का जरिया ही बना लिया।
बजरा की जमीन भी निशाने पर:
भाजपा विधायक दल के नेता ने कहा कि बजरा की जमीन भी इनके निशाने पर रही। 75 सालों की लगान रसीद एक दिन में काट कर भारी संख्या में पुलिस के दम पर दिन-रात जमीन कब्जा कराने का ऐसा काम हुआ, जिसकी दूसरी मिसाल नहीं मिल सकती। हाइकोर्ट ने जिÞला प्रशासन के अंधा कानून की इस कार्रवाई को अभी रद्द कर दिया है। जमीन के विवाद में जांच या कब्जा के लिए रात में पुलिस को भेजने का नियम नहीं है। लेकिन कई ऐसे वीडियो हमें देखने को मिला है, जिसमें रात में पुलिस लाइन से बसों में भर कर पंहुचे फोर्स और अफसर आतंक कायम करने के लिए गेट तोड़ कर कई जगहों पर घुसने का प्रयास करते देखे जा सकते हैं। बाबूलाल ने कहा कि सुना है कि ‘जमीन लूटो’ गोरखधंधा रात में इसलिए किया जाता था कि पब्लिक की भीड़ और हंगामा न हो। कम से कम पत्रकार मौके पर पंहुचे। पीड़ित पक्ष अगर फरियाद लेकर किसी जनप्रतिनिधि के माध्यम से सीनियर अफसरों से संपर्क करना चाहे, तो रात का बहाना बना कर कोई अफसर मिले ही नहीं। और दिन के उजाले से पहले गोरखधंधा हो जाये।
मुख्यमंत्री को सवालों का जवाब देना चाहिए:
बाबूलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को बताना चाहिए कि ये सब काम किसके आदेश पर, किसकी सह पर होता था? क्या यह संभव है कि बिना मुख्यमंत्री की जानकारी के राज्य की राजधानी में इतना बड़ा गोरखधंधा हो जाये? ये कैसे संभव है कि कोई अफसर ऐसे धंधों को अंजाम देने के लिए किसी दलाल से सीधे डायरेक्शन ले और अपने किये की रिपोर्ट दलाल को ही करे? बाबूलाल ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (इडी) को जमीन महाघोटाले में इन बिंदुओं पर विस्तार से पूछताछ करनी चाहिए। पर्दे के पीछे रिमोट कंट्रोल से इस धंधे में शामिल चेहरों को भी बेनकाब कर उनकी गर्दन पकड़नी चाहिए, जिनके चलते आज झारखंड की देश-दुनियां में बदनामी हो रही है। उन्होंने कहा कि मेरा दावा है कि अगर रांची जमीन गोरखधंधे के षड्यंत्र की गहराई से जांच होगी, तो साहिबगंज का चर्चित 1000 करोड़ का पत्थर घोटोला बौना दिखने लगेगा।