-हंसराज वाधवा विद्यालय की जमीन होने की चर्चा, पर कब्जा करनेवाले का पता नहीं
-हेडमास्टर ने सीओ को पत्र लिख धारा 144 के तहत कार्रवाई की मांग की
-सीओ ने एसडीओ से कार्रवाई की अनुशंसा की
अजय शर्मा
रांची। शहर से सटे नामकुम अंचल में एक बड़े भूखंड पर दिन-रात काम लगाकर चहारदीवारी खड़ा कर दी गयी है। करीब आठ एकड़ जमीन की घेराबंदी कर ली गयी है। इसकी कीमत एक सौ करोड़ रुपये है। अब इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर अलग-अलग दावे किये जा रहे हैं। सबसे अहम सवाल यह है कि चहारदीवारी किसने की, इसको लेकर कोई भी व्यक्ति फिलहाल कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। जिस जमीन की घेरेबंदी की गयी है, वहां राजकीयकृत हंसराज वाधवा प्लस टू उच्च विद्यालय है। चर्चा है कि यह पूरा भूखंड उसी विद्यालय का है, जिसे राज्यपाल ने स्कूल को सौंपा था। हालांकि स्कूल के पास भी इससे संबंधित कोई दस्तावेज नहीं है। स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक ने जब चहारदीवारी का निर्माण देखा, तो उन्होंने इसकी शिकायत नामकुम अंचल के सीओ से की और निर्माण का काम रोकने का अनुरोध किया।
सीओ ने कार्रवाई की अनुशंसा की
नामकुम अंचल के सीओ ने स्कूल के प्रधानाध्यापक के आवेदन के आधार पर राजस्व उपनिरीक्षक, अंचल अमीन और अंचल निरीक्षक से जांच करायी। उनकी रिपोर्ट के आधार पर उस भूखंड पर तत्काल धारा 144 के तहत कार्रवाई करने का अनुरोध सीओ ने रांची के एसडीओ से किया। सीओ ने यह पत्र 10 अप्रैल को लिखा। इस पत्र के आधार पर क्या कार्रवाई हुई, इसकी भी जानकारी किसी अधिकारी के पास नहीं है। लेकिन इतना साफ है कि करीब सात एकड़ 78 डिसमिल भूखंड पर अब कब्जा हो चुका है। इसमें बड़े नाम आ रहे हैं। स्कूल के पास तो अब एक एकड़ से भी कम भूखंड बचा है। इलाके के लोगों का कहना है भूखंड विद्यालय का है। यह कभी जमींदार का हुआ करता था, लेकिन अब कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से उसमें चहारदीवारी बनवा दी गयी है।
गैर-मजरुआ जमीन है, मालिक खेवट
सीओ की रिपोर्ट अगर सही है, तो इस भूखंड का मालिक खेवट है और भूमि गैर-मजरुआ नेचर की है। यह जमीन पहले जमींदार की रही होगी, लेकिन बाद में उसे सरेंडर कर दिया गया होगा। अंचल में मौजूद दस्तावेज में उस जमीन का लगान पाने वाले का नाम हरबंस लाल साहू दर्ज है। थाना संख्या 214 खाता नंबर 102 प्लॉट संख्या 137 का कुल रकबा आठ एकड़ 78 डिसमिल है। पंजी टू में इसी में से सात एकड़ 78 डिसमिल जमीन नंदकुमार लाल के नाम से दर्ज है, लेकिन वह कौन हैं, कहां रहते हैं, इसकी सही जानकारी किसी के पास नहीं है। फिलहाल चहारदीवारी की चर्चा पूरे नामकुम में हो रही है।