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    Home»अन्य खबर»इतिहास के पन्नों में 03 अप्रैलः हर कोई नहीं हो सकता सैम मानेकशॉ
    अन्य खबर

    इतिहास के पन्नों में 03 अप्रैलः हर कोई नहीं हो सकता सैम मानेकशॉ

    adminBy adminApril 2, 2024No Comments4 Mins Read
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    देश-दुनिया के इतिहास में 03 अप्रैल की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। भारतीय सेना के लिए यह महत्वपूर्ण तारीख है। इसी तारीख को 1914 में देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का जन्म हुआ था। उनकी अगुआई में भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। तीन दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला किया था। भारत ने पाकिस्तान के हमले का ऐसा जवाब दिया कि 13 दिन में ही पाकिस्तान की सेना ने हथियार डाल दिए और पाकिस्तान के 90 हजार से भी ज्यादा सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया।

    माना जाता है कि यह किसी युद्ध में हथियार डालने वाले सैनिकों की सबसे बड़ी संख्या है। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को भारी क्षति उठानी पड़ी और एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। भारतीय सेना की इस यादगार विजय का श्रेय सैम मानेकशॉ को जाता है। मानेकशॉ के पिता डॉक्टर थे और वे खुद भी डॉक्टर बनना चाहते थे। मानेकशॉ डॉक्टरी पढ़ने के लिए इंग्लैंड जाना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें ये कहकर इजाजत नहीं दी कि विदेश में अकेले रहने के लिए उनकी उम्र बहुत कम है।

    इस बात से वे पिता से नाराज हो गए और एक तरह से उनके फैसले के खिलाफ विद्रोही तेवर अपनाते हुए आर्मी भर्ती की परीक्षा देकर सेना में शामिल हो गए। 1971 में तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चाहती थीं कि अप्रैल महीने में ही भारत पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) पर हमला कर दे, लेकिन मानेकशॉ ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। उन्होंने इंदिरा से कहा कि इस समय लड़ाई से हारने का खतरा रहेगा।

    इसके बाद उन्होंने इंदिरा से युद्ध की तैयारी के लिए समय लिया और जंग के लिए सेना को तैयार करना शुरू कर दिया। आखिर में ये जंग अप्रैल के बजाय दिसंबर में हुई और भारत ने जीत हासिल की। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान देश गुलाम था और भारतीय जवानों को भी अंग्रेजी सेना के लिए लड़ना पड़ता था। उस समय मानेकशॉ भी बर्मा में जापानी आर्मी के खिलाफ युद्ध के मैदान में थे। इस युद्ध के दौरान मानेकशॉ के शरीर में सात गोलियां लगी थीं और उनके बचने की उम्मीद काफी कम थीं, लेकिन डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन करके सारी गोलियां निकाल दीं और मानेकशॉ की जान बच गई।

    1973 में सैम मानेकशॉ को फील्ड मार्शल बनाया गया। इस पद पर पहुंचने वाले वह देश के पहले सैन्य अधिकारी थे। उन्हें कई सम्मान प्राप्त हुए थे। 1972 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था। सेना प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद वे वेलिंगटन चले गए। वेलिंगटन में ही जून 2008 में 94 साल की आयु में उन्होंने आखिरी सांस ली।

    महत्वपूर्ण घटनाचक्र

    1922: जोसेफ स्टालिन को सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति का महासचिव नियुक्त किया गया।

    1933: माउंट एवरेस्ट के ऊपर से पहली बार विमान ने उड़ान भरी।

    1942: जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका पर आखिरी दौर की सैन्य कार्रवाई शुरू की।

    1949: अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने उत्तरी अटलांटिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

    1973: मैनहट्टन की साइडवॉक से पहला पब्लिक मोबाइल टेलीफोन कॉल किया गया। मोटोरोला के मार्टिन कूपर ने बेल लैब्स के जोएल एंजेल को फोन लगाया।

    1999: भारत ने पहला वैश्विक दूरसंचार उपग्रह इनसैट-1 ई का प्रक्षेपण किया।

    2001ः संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत यात्रा पर पहुंचे।

    2001ः भारत और डेनमार्क के बीच चार वर्ष के बाद पुन: वार्ता।

    2002ः पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की जनमत संग्रह योजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी।

    2006ः नेपाल में माओवादियों ने संघर्ष विराम की घोषणा की।

    2007ः नई दिल्ली में 14वां सार्क सम्मेलन शुरू।

    2008ः प्रकाश करात को माकपा का पुन: महासचिव चुना गया।

    2008ः मेधा पाटकर को राष्ट्रीय क्रांतिवीर अवार्ड से अलंकृत किया गया।

    2010: एपल ने अपना पहला आईपैड लॉन्च किया।

    2016: कोलकाता के ईडन गार्डंस मैदान पर वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को हराकर आईसीसी टी-20 विश्व कप जीता।

    जन्म

    1903ः गांधीवादी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कमलादेवी चट्टोपाध्याय।

    1914ः भारतीय सेना के पूर्व अध्यक्ष सैम मानेकशॉ। इनके नेतृत्व में भारत ने सन 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त की थी।

    1929ः साहित्यकार निर्मल वर्मा।

    1931ः सैम मानेकशॉ मन्नू भंडारी।

    1955ः प्रसिद्ध भारतीय गजल गायक और पार्श्वगायक हरिहरन।

    निधन

    1325ः चिश्ती सम्प्रदाय के चौथे संत निजामुद्दीन औलिया।

    1680ः मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी।

    1989ः असम और नगालैंड के पूर्व राज्यपाल विष्णु सहाय।

    2017ः जयपुर घराने की अग्रणी गायिका किशोरी अमोनकर।

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