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    Home»राजनीति»लोकसभा चुनाव : राणाघाट सीट – 2019 में भाजपा ने मारी थी बाजी, इस बार तृणमूल से सीधा मुकाबला
    राजनीति

    लोकसभा चुनाव : राणाघाट सीट – 2019 में भाजपा ने मारी थी बाजी, इस बार तृणमूल से सीधा मुकाबला

    adminBy adminApril 17, 2024Updated:April 17, 2024No Comments2 Mins Read
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    कोलकाता। लोकसभा चुनाव का सियासी दंगल पूरे देश में चल रहा है। पश्चिम बंगाल में लड़ाई दिलचस्प है, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर अकेले लड़ रही है। माकपा और कांग्रेस मौखिक तौर पर गठबंधन में हैं और भाजपा भी सभी सीटों पर ताल ठोक रही हैं।

    राज्य में कई सीटें वीआईपी हैं, जिनमें नदिया जिले की रानाघाट सीट भी है। यहां से मौजूदा सांसद भाजपा के जगन्नाथ सरकार हैं। उन्हें इस बार भी पार्टी ने टिकट दिया है। उनके खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने चर्चित नेता मुकुटमणि अधिकारी को उम्मीदवार बनाया है जबकि माकपा ने भी अलकेश दास को टिकट दिया है। 13 मई को चौथे चरण में यहां वोटिंग होनी है।

    -भौगोलिक स्थिति और राजनीतिक इतिहास

    रानाघाट पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में एक शहर और नगर पालिका है। यह रानाघाट उपमंडल का मुख्यालय है। यह अपने हथकरघा उद्योग, विभिन्न प्रकार के फूलों और उनकी खेती के लिए जाना जाता है।

    रानाघाट लोकसभा क्षेत्र के तहत सात विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें कृष्णानगर दक्षिण, शांतिपुर, रानाघाट उत्तर पश्चिम, कृष्णगंज (अनुसूचित जाति), रानाघाट उत्तर पूर्व (अनुसूचित जाति), रानाघाट दक्षिण (अनुसूचित जाति) और चकदाहा शामिल हैं।

    रानाघाट सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है, जहां 2009 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के सुकरु रंजन हलधर ने जीत हासिल की थी। 2014 में एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस ने अपना जलवा बरकरार रखते हुए दोबारा जीत हासिल की और तापस मंडल सांसद चुने गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में 42 में से 34 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। रानाघाट सीट के इतिहास की बात करें तो इस सीट पर आम तौर पर कांग्रेस और माकपा के बीच सीधा मुकाबला रहा है लेकिन इस बार इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई है।

    क्या है 2019 का जनादेश?

    2019 के लोकसभा चुनाव में मिनती बिस्वास कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में थीं जबकि रुपाली बिस्वास तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गौतम राय उम्मीदवार थे। एक निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे। भाजपा के टिकट पर जगन्नाथ सरकार चुनाव लड़ रहे थे, जिन्हें जीत मिली थी। उन्हें सात लाख 83 हजार 253 वोट मिले थे जबकि तृणमूल उम्मीदवार को पांच लाख 49 हजार 825 वोट हासिल हुए थे।

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