108 कुण्डीय रुद्र महामृत्युंजय महायज्ञ में शामिल हुए केन्द्रीय मंत्री शाह
कोटपूतली-बहरोड़। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि महाप्रभु आदिनाथ से लेकर उनके अनुयायियों तक, इस संप्रदाय ने सनातन धर्म को स्थायित्व और शक्ति दी है। नाथ परंपरा में धूनि को आत्मज्ञान प्राप्ति का साधन माना गया है, जो पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जैसे पंचतत्वों को संतुलित कर आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह रविवार को राजस्थान के कोटपूतली में आयोजित 108 कुण्डीय रुद्र महामृत्युंजय महायज्ञ में शामिल हुए। शाह ने महायज्ञ में महापूर्णाहुति दी और एक सनातन सम्मेलन को भी संबोधित किया। इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि बाबा बस्तीनाथ ने समाज के सभी वर्गों को जोड़कर एक वर्ष तक यह आयोजन सतत रूप से संचालित किया, जो एक बड़ा और प्रेरणादायक कार्य है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन की शुरुआत पिछले वर्ष रामनवमी पर हुई थी और इस वर्ष रामनवमी पर इसका समापन हुआ। पूरे वर्ष हर पांचवें दिन समाज के विभिन्न वर्गों के लोग प्रकृति संरक्षण, सनातन धर्म के प्रचार और आत्मशुद्धि के उद्देश्य से यज्ञ में भाग लिया। शाह ने इस यज्ञ को अद्वितीय प्रयास बताया, जो धर्म, समाज और पर्यावरण को जोड़ता है।
नाथ संप्रदाय की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए केन्द्रीय मंत्री शाह ने कहा कि महाप्रभु आदिनाथ से लेकर उनके अनुयायियों तक, इस संप्रदाय ने सनातन धर्म को स्थायित्व और शक्ति दी है। उन्होंने कहा कि नाथ परंपरा में धूनि को आत्मज्ञान प्राप्ति का साधन माना गया है, जो पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जैसे पंचतत्वों को संतुलित कर आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। उन्होंने बाबा बस्तीनाथ के पिछले 16 वर्ष से आश्रम में निरंतर यज्ञ आयोजन की परंपरा की सराहना की। बाबा बालनाथ की समाधि को ऊर्जा का केंद्र मानते हुए शाह ने कहा कि इस स्थान ने न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाया है, बल्कि बेसहारा और निराश लोगों को भी आशा और सहारा दिया।
उन्होंने कहा कि बाबा बालनाथ जैसे महायोगियों ने इस भूमि पर जन्म लेकर न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी 84 धूनियों की स्थापना की और धर्ममय जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया। अमित शाह ने कहा कि आज बाबा बस्तीनाथ अपने गुरु की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लोकधर्म, सेवा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता जैसे कार्यों में जुटे हैं। शाह ने कहा कि बाबा बस्तीनाथ ने अपने गुरु की तरह ही सेवा, तप, वैराग्य और धार्मिक मूल्यों को जीवन का आधार बनाया है और समाज में आध्यात्मिक चेतना जागृत करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से न केवल धार्मिक परंपराएं सशक्त होती हैं, बल्कि सामाजिक सुधार और मानव कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होता है।