नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पर लगातार हमलावर है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि नेशनल हेराल्ड का नाम सुनते ही आज कांग्रेस के पूरे इकोसिस्टम में छटपटाहट, कंपकंपाहट, धड़धड़ाहट, डगमगाहट, लड़खड़ाहट होने लगती है। ऐसा महसूस होना लाजमी भी है क्योंकि चोरी करते हुए फिर से पकड़े जो गए हैं। आजादी के बाद से आज तक अगर आप कांग्रेस का इतिहास देखेंगे तो एक नहीं, अनेक घोटाले सामने आए हैं।अनुराग ठाकुर ने भाजपा मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में कहा कि नेशनल हेराल्ड अपने आप में एक ऐसा मॉडल है, जो किसी के गले नहीं उतर रहा है। नेशनल हेराल्ड को पंडित नेहरू ने 1938 में शुरू किया था, वो चल नहीं पाया, लेकिन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के लिए ऐसी कौनसी मजबूरी हो गई कि उसको बचाने के लिए यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई गई और उसमें भी एक परिवार को 76 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी जाए।
यंग इंडियन को बनाने के लिए 50 लाख का लोन भी कांग्रेस ने ही दिया। दूसरी ओर एजेएल पर कांग्रेस का 90 करोड़ का कर्ज है। ये संपत्ति 2 हजार करोड़ की है। और मजेदार बात ये है कि 2,000 करोड़ की ये संपत्ति मात्र 50 लाख रुपये में यंग इंडियन के नाम हो जाती है। बकाया 89.50 करोड़ रुपये कांग्रेस माफ कर देती है।उन्होंने कहा कि अखबार कागज पर छपता है, लेकिन कुछ कागजी अखबार भी होते हैं, जो छपते भी नहीं, बिकते भी नहीं, बंटते भी नहीं, दिखते भी नहीं और पढ़े भी नहीं जाते, ये उनमें से एक है। कांग्रेस के राज्यों के मुख्यमंत्री इसके लिए विज्ञापन देते हैं, वो ये विज्ञापन किस आधार पर देते हैं? उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बड़े-बड़े दैनिक अखबारों को चवन्नी मिलती है, वहीं नेशनल हेराल्ड को चांदी के सिक्के मिलते हैं। यह भ्रष्टाचार का कांग्रेस मॉडल है, जहां एक साप्ताहिक अखबार को दैनिक अखबारों की तुलना में अधिक धन प्राप्त हो रहा था, भले ही वह कभी-कभी प्रकाशित न भी हो रहा हो।पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह मूलतः कांग्रेस के लिए एटीएम के रूप में कार्य करता था, जिसमें राज्य सरकारें करदाताओं का पैसा डालती थीं। यह स्वतंत्रता से पहले स्थापित एक अख़बार था, जिसके 1,000 से ज़्यादा शेयरधारक थे। अगर कांग्रेस का इरादा ऋण माफ़ करने का था, तो एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का ऋण सीधे माफ़ क्यों नहीं किया गया? यंग इंडियन बनाने की क्या ज़रूरत थी, जिसके 76 प्रतिशत शेयर एक ही परिवार के पास थे?