विशेष
वक्फ कानून के खिलाफ मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा से उभरे सवाल
खतरनाक मोड़ पर पहुंच गयी है सीएम ममता बनर्जी की राजनीति
अशांत बंगाल का असर पूरे देश की शांति व्यवस्था पर पड़ेगा
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक को कानूनी जामा पहना दिया है। वक्फ कानून को लेकर विपक्षी पार्टियां पूरे देश में विरोध कर रही हैं। मुस्लिम संगठन प्रदर्शन भी कर रहे हैं, लेकिन वक्फ के खिलाफ देश में केवल पश्चिम बंगाल में हिंसा हो रही है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर और सुती में वक्फ के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस पर हमले किये गये। सरकारी गाड़ियों में आग लगी दी गयी है। रेल यातायात ठप कर दिया गया। शमशेरगंज में प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए बीएसएफ को उतारना पड़ा है। हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गयी है। मुर्शिदाबाद में हिंसा को लेकर बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस को हस्तक्षेप करना पड़ा है। यहां यह सवाल उठ रहा है कि आखिर बंगाल में ही वक्फ को लेकर हिंसा क्यों हो रही है। पश्चिम बंगाल में करीब 32 फीसदी मुस्लिम आबादी है और मुस्लिमों को तृणमूल कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव है और ममता बनर्जी पूरी तरह से मुस्लिमों के पक्ष में खड़ी दिख रही हैं और पूरी तरह से धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। देश में जितने भी मुस्लिम बहुल राज्य हैं, उनमें पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य राज्यों जैसे त्रिपुरा और असम में भाजपा की सरकार है। भाजपा ने वक्फ को लेकर उस तरह से प्रचार नहीं किया, जैसा करना चाहिए था। ऐसी स्थिति में तृणमूल कांग्रेस इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है। वर्मतान में सीएम ममता बनर्जी खुद को मुस्लिमों का मसीहा दिखाने की कोशिश कर रही हैं। राज्य में यह संदेश दिया जा रहा है कि मुस्लिम खतरे में हैं। ममता बनर्जी वक्फ को एक मुद्दा बनाना चाहती हैं और तृणमूल कांग्रेस लोगों में संदेश देना चाहती हंै कि केवल दीदी ही उनकी रक्षा कर सकती हैं। पश्चिम बंगाल की इस अशांत स्थिति के पीछे चाहे जिसका भी हाथ है, देश की शांति व्यवस्था पर इसका असर पड़ना स्वाभाविक है। क्या है पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा के पीछे का सच और क्या है इसकी सियासत, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला इन दिनों हिंसा की आग में झुलस रहा है। यहां नये वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गयी, वहीं 15 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस ने इस हिंसा के मामले में 150 से ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। इस हिंसा के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। वहीं सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चरम पर है। टीएमसी विधायकों के बयान, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक और बीजेपी नेताओं के सोशल मीडिया पर तीखे हमले इस सवाल को जन्म दे रहे हैं कि क्या पश्चिम बंगाल को अस्थिर करने की कोई साजिश रची जा रही है।
मुर्शिदाबाद के जंगीपुर, सुती और शमशेरगंज जैसे इलाकों में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, वाहनों में आग लगायी और राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया। पुलिस के अनुसार, हिंसा की शुरूआत एक अफवाह से हुई, जिसमें दावा किया गया कि पुलिस कार्रवाई में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गयी। इसके बाद भीड़ ने उग्र रुख अख्तियार कर लिया। हालात को नियंत्रित करने के लिए बीएसएफ की आठ कंपनियों को तैनात किया गया है। वहीं कलकत्ता हाइकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने साफ कहा कि वह आंखें मूंद कर नहीं बैठ सकता और शांति बहाली उसका प्राथमिक लक्ष्य है।
टीएमसी विधायकों के बयान ने विवाद को हवा दी
इस बीच, टीएमसी विधायकों के बयान ने विवाद को और हवा दी। जंगीपुर के टीएमसी विधायक ने दावा किया कि वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन अचानक से हिंसक हो उठे और इसमें कोई सियासी साजिश नहीं थी। उन्होंने कहा, हमारी सरकार हर धर्म की संपत्तियों की रक्षा करती है। यह केंद्र का कानून है, जिसका जवाब केंद्र को देना चाहिए। हालांकि, उनके इस बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए इसे हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश करार दिया। बीजेपी का आरोप है कि टीएमसी हिंसा को प्रायोजित कर रही है, ताकि मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में रख सके।
मुस्लिम नेताओं से मिलीं ममता, बीजेपी ने बोला हमला
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस हिंसा के बीच मुस्लिम नेताओं के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें टीएमसी के कई वरिष्ठ नेता शामिल थे। इस बैठक में ममता ने मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार वक्फ संपत्तियों की रक्षा करेगी और बंगाल में इस कानून को लागू नहीं होने देगी। ममता ने पहले भी सार्वजनिक मंचों से कहा है, मुझे गोली मार दो, लेकिन मैं बंगाल को धार्मिक आधार पर बंटने नहीं दूंगी। कोलकाता में नवकार महामंत्र दिवस के दौरान उन्होंने एकता पर जोर देते हुए बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि उनकी सरकार हर धर्म का सम्मान करती है। ममता का यह रुख उनके 30 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो टीएमसी की सियासी ताकत का आधार है।
दूसरी ओर, बीजेपी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। बीजेपी नेताओं ने सोशल मीडिया पर लिखा, ममता बनर्जी बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाना चाहती हैं। मुर्शिदाबाद में हिंसा सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा देने का नतीजा है। वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, टीएमसी की गुंडागर्दी और हिंसा बंगाल को अराजकता की ओर ले जा रही है। ममता सरकार को जवाब देना होगा। बीजेपी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि मुर्शिदाबाद में हिंदू परिवार को टारगेट करके हमला किया जा रहा है, जिसके पीछे टीएमसी का हाथ है।
अभिषेक बनर्जी का बीजेपी पर पलटवार
बीजेपी के इन दावों ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी, जहां बीजेपी समर्थक इसे वोटबैंक की राजनीति और टीएमसी समर्थक इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का हथियार बता रहे हैं। हालांकि, टीएमसी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। टीएमसी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा, 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अशांति फैलाना चाहती है। यह हिंसा उनकी साजिश का हिस्सा है। ममता ने भी स्पष्ट किया कि वक्फ कानून केंद्र का फैसला है और उनकी सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं। उन्होंने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की और कहा कि उनकी सरकार हर धर्म की संपत्तियों की रक्षा करेगी।
इस हिंसा ने एक बार फिर बंगाल की सियासत में धार्मिक ध्रुवीकरण के खतरे को उजागर कर दिया है। बीजेपी जहां इसे अवैध घुसपैठ और सांप्रदायिक हिंसा से जोड़कर देख रही है, वहीं टीएमसी इसे केंद्र सरकार की नीतियों का नतीजा बता रही है। यह विवाद 2026 के विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभा सकता है। मुर्शिदाबाद, जहां मुस्लिम आबादी लगभग 66 प्रतिशत है, टीएमसी का गढ़ रहा है, लेकिन बीजेपी इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।
कलकत्ता हाइकोर्ट की सख्ती और केंद्रीय बलों की तैनाती के बाद मुर्शिदाबाद में स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आ रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह हिंसा वाकई से अचानक से भड़की थी या इसके पीछे कोई गहरी सियासी साजिश है। ममता बनर्जी की मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक और बीजेपी के आक्रामक रुख ने इस आग में और घी डालने का काम किया है। पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाने का आरोप लगाने वाली बीजेपी और इसे सांप्रदायिक साजिश करार देने वाली टीएमसी के बीच यह जंग अब सड़कों से सोशल मीडिया और विधानसभा तक पहुंच चुकी है। ऐसे में सच्चाई क्या है और इसका जवाब कौन देगा, यह वक्त ही बतायेगा।