सार। पहलगाम हमले में मारे गए गुजरात के पिता-पुत्र का अंतिम संस्कार किया गया। वहीं पुणे में दो दोस्तों के शव पहुंचे तो हर आंख नम हो गई। पहलगाम में हुआ हमला पूरे देश को बड़ा दर्द दे गया। खुशियां बटोरने कश्मीर गए परिवारों ने सोचा भी न होगा कि यह सफर आखिरी होगा। हमले में मारे गए पर्यटकों के शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए गए हैं। पूरे देश के अलग-अलग राज्यों के इन मृत पर्यटकों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चल रही है। हमले में मारे गए गुजरात के पिता-पुत्र की अर्थियां एक साथ उठीं तो पूरे शहर की आंखें नम हो गईं। वहीं पुणे में एक बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। पिता की चिता से उठती आग को देख रही बिटिया की आंखों में भी न्याय की चाह दिखी।

सोचा न था जिंदगी का पहला सफर, आखिरी होगा
पहलगाम हमले में मारे गए पुणे के कौस्तुभ गणबोटे के जीवन का पहला सफर ही आखिरी बन गया। स्नैक्स कारोबारी गणबोटे अपने दोस्त संतोष जगदाले के परिवार के साथ जम्मू-कश्मीर गए थे। उनके पड़ोसी सुनील मोरे ने बताया कि पूरी जिंदगी कौस्तुभ गणबोटे अपने कारोबार को बढ़ाने में व्यस्त रहे। यह पहली बार था जब उन्होंने और उनकी पत्नी संगीता ने शहर से बाहर यात्रा करने का फैसला किया था। उन्होंने अपने करीबी दोस्त संतोष और उसके परिवार के साथ मिलकर इस यात्रा की योजना बनाई थी। सिर्फ आठ दिन पहले ही उन्होंने मुझे कश्मीर की योजना के बारे में बताया था। वे वाकई बहुत उत्साहित थे।

मोरे ने बताया कि गणबोटे ने अपना पूरा जीवन रास्ता पेठ की एक संकरी गली में गुजारा और हाल ही में उन्होंने कोंढवा-सासवाड़ रोड पर एक मकान बनवाया। वे हाल ही में दादा बने थे। संतोष जगदाले गणबोटे के घनिष्ठ मित्र थे। जगदाले और गणबोटे का शव गुरुवार सुबह पुणे पहुंचा। संतोष जगदाले को उनकी बेटी असावरी ने मुखाग्नि दी।

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