खलारी: सीएनटी, एसपीटी तथा सरकार के जनविरोधी नीतियों के विरोध में माओवादियों द्वारा आहूत झारखंड बंदी का खलारी, कोयलांचल तथा मैक्लुस्कीगंज में व्यापक असर देखा गया। रविवार की रात बारह बजे से ही पूरे क्षेत्र की कोयला ढुलाई ठप हो गयी। इसके आलावे सोमवार की सुबह से ही व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। क्षेत्र में टेंपो के परिचालन पर बंदी का असर देखा गया। छिटपुट छोटे वाहन चले। लेकिन क्षेत्र से गुजरने वाली लंबी दूरी की बसें नहीं चलीं।
हालांकि मां सिंहवाहिनी का एक दो बस रांची के लिए यहां से निकली लेकिन प्राय: बसें भी बंद रहीं। एरिया के बैंक एवं डाकघर बंद रहे। बैक आॅफ इंडिया तथा एलआइसी की खलारी शाखा में कामकाज सामान्य रहा। ट्रेनों के परिचालन पर बंदी का कोई असर नहीं देखा गया। लेकिन पूरे एरिया की साइडिंगों से कोयले का डिस्पैच नहीं हुआ। इसके चलते रेलवे को पांच करोड़ के राजस्व की हानि हुई। कोयला खदानों में उत्पादन हुआ। इधर सीसीएल का कार्यालय खुले रहे तथा सामान्य रूप से उत्पादन हुआ है। नक्सली बंद का पिपरवार में व्यापक असर: भाकपा-माओवादी के द्वारा आहूत एक दिवसीय बंदी का पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र में व्यापक असर रहा।
नक्सली बंदी को लेकर पिपरवार क्षेत्र की कोयले की ढुलाई रविवार की मध्यरात्रि से ही पूरी तरह से बंद रही, वहीं बचरा साइडिंग व आरसीएम साइडिंग में होने वाली रैक लोडिंग व डिस्पैच कार्य पूरी तरह से ठप रहा, लोकल सेल केमाध्यम से होने वाले कोयले की डिस्पैच भी पूरी तरह से ठप रही। रैक लोडिंग का कार्य बंद होने से दोनों साइडिंग में चारों ओर पूरी तरह से सन्नटा पसरा रहा। बचरा पेट्रोल पंप, राय रतनलाल पेट्रोल पंप, शिव शक्ति फ्यूल्स नामक पेट्रोल पंप बंद रहे।
सोनाहातू: नक्सलीयों द्वारा झारखंड बंद सोनाहातू ओर राहे प्रखंड में असरदार रहा। सोमवार सुबह से ही बाजार के सभी दुकानें बंद रहीं। बुंडू-सोनाहातू ओर बुंडू-राहे-सिल्ली चलने वाली यात्री वाहन नहीं चले। दिन भर सड़क विरान रही। बंद को लेकर लोग घरों में दुबके रहे। बंद ऐसा रहा कि पूरा क्षेत्र विरान और सुनसान रहा। समाचार लिखे जाने तक कोई भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं थी।
सीसीएल को 2 करोड़ और रेलवे को 6 करोड़ का नुकसान
पिपरवार। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी के द्वारा आहूत एक दिवसीय बंदी के कारण कोयले की ढुलाई व कोयले का डिस्पैच पूरी तरह से ठप रहने के कारण सीसीएल पिपरवार प्रबंधन को करीब 2 करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है। वहीं रेलवे प्रबंधन को करीब 6 करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।