अदालत के इस फैसले को इंडोनेशिया की सरकार के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है

इंडोनेशिया की एक अदालत ने जकार्ता के गवर्नर बसूकी तजाहजा पुरनामा को ईशनिंदा का दोषी माना है. अहोक नाम से लोकप्रिय पुरनामा मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में अल्पसंख्यक ईसाई तबके से आते हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक जकार्ता की अदालत ने ईशनिंदा के आरोप में उन्हें दो साल की सजा सुनाई है. अदालत के प्रमुख न्यायाधीश द्वियार्सो बडी सेंटियार्टो ने कहा है, ‘धार्मिक समाज का अंग होने के नाते गवर्नर को धार्मिक प्रतीकों और खुद के धर्म के प्रति भी नकारात्मक अर्थ वाले शब्दों को इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.’ एक अन्य जज अब्दुल रोसाद ने कहा कि इतनी कड़ी सजा देने की वजह यह थी कि प्रतिवादी अपनी गलती ही नहीं मान रहा था, जबकि उसकी हरकत से मुस्लिमों को पीड़ा पहुंची थी. अदालत ने अहोक को तुरंत गिरफ्तार करने का आदेश भी दिया.

इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है, इसी वजह से इस मुकदमे को उसकी धार्मिक सहनशीलता और बहुलवादी ताने-बाने से जोड़कर देखा जा रहा था. अहोक पर ईशनिंदा का आरोप पिछले साल चुनाव प्रचार से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके विरोधी लोगों को उनके खिलाफ उकसाने के लिए कुरान की आयतों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कट्टरपंथी समूहों ने इसे पवित्र पुस्तक का अपमान बताया था. इंडोनेशिया में उनके भाषण का संपादित अंश वायरल हो गया था, जिसके बाद उनके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे.

अदालत के इस फैसले को इंडोनेशिया की सरकार के लिए भी झटका माना जा रहा है. दरअसल यहां की सरकार कट्टरपंथी तबके के उभार को विदेशी-निवेश के लिए खतरा मानती है और इसे नियंत्रित रखने की कोशिश करती है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस घटना से कट्टरपंथी तबकों के मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं. इस बीच अहोक के सहयोगी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने लोगों से इस मामले में धैर्य बनाए रखने और अदालत के फैसले का सम्मान करने की अपील की है.

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