वाशिंगटन: 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने अचरज में डालने वाला एक और फैसला किया है। उन्होंने संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआइ) के निदेशक जेम्स कोमी को बर्खास्त कर दिया है। वे ट्रंप की चुनाव प्रचार टीम और रूस के संपर्कों की जांच का नेतृत्व कर रहे थे।

यही कारण है कि इस फैसले पर राजनीतिक बखेड़ा शुरू हो गया है। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के अलावा कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने भी बर्खास्तगी पर सवाल उठाए हैं। ह्वाइट हाउस ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि इस फैसले का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।

कोमी को भेजे पत्र में ट्रंप ने कहा है, ‘वह ब्यूरो का प्रभावशाली रूप से नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं। एजेंसी में लोगों का विश्र्वास दोबारा कायम करना आवश्यक है। इस कारण से आपको तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाता है।’ कुछ दिन पहले ही कोमी ने राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप को लेकर संसदीय समिति के समक्ष बयान दिया था।

ट्रंप ने पत्र में यह स्वीकार किया है कि कोमी ने तीन अलग-अलग मौकों पर उन्हें सूचित किया था कि वह जांच के दायरे में नहीं हैं। इसके बावजूद वे न्याय विभाग के इस फैसले से सहमत हैं कि कोमी ब्यूरो का प्रभावशाली नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं।

उनकी बर्खास्तगी को राष्ट्रपति ने एजेंसी के लिए नई शुरुआत बताया है। कोमी को जब बर्खास्तगी का नोट सौंपा गया, उस समय वह लॉस एंजिलिस में एफबीआइ एजेंटों को संबोधित कर रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2013 में 10 साल के कार्यकाल के लिए उन्हें नियुक्त किया था।

ह्वाइट हाउस के प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने बताया कि नए निदेशक की तलाश शुरू कर दी गई है। तलाश पूरी होने तक उप प्रमुख एंड्रयू मैक्काबे अंतरिम प्रमुख की जिम्मेदारी संभालेंगे।

दूसरा मौका एफबीआइ का गठन 26 जुलाई 1908 को किया गया था। एजेंसी के किसी प्रमुख की बर्खास्तगी का यह दूसरा मामला है। इससे पहले 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने विलियम सेशंस को नैतिक चूक के आधार पर हटा दिया था।

वाटरगेट से तुलना ट्रंप के इस कदम की तुलना डेमोक्रेटिक नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के एक फैसले से की है। निक्सन ने 1973 में वाटरगेट कांड की जांच कर रहे स्वतंत्र विशेष अभियोजक को हटा दिया था। फैसले के विरोध में न्याय विभाग के दो उच्च अधिकारियों ने भी पद छोड़ दिया था।

इस घटना को ‘सैटरडे नाइट मैसेकर’ के नाम से जाना जाता है। हिलेरी की हार के जिम्मेदार कोमी 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी विवादों में आए थे। उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ ई-मेल मामले की दोबारा जांच की बात कही थी।

हिलेरी ने हाल ही में उनके इस बयान को अपनी हार का प्रमुख कारण बताया था। जांच प्रभावित होने का अंदेशा डेमोक्रेटिक सांसदों ने कोमी की बर्खास्तगी से चुनाव में रूसी हस्तक्षेप की जांच प्रभावित होने का अंदेशा जताया है। चक शूमर ने इसे बड़ी गलती बताते हुए रूसी हैकिंग की जांच के लिए न्याय विभाग से विशेष अभियोजक नियुक्त करने की मांग की है।

भारतवंशी सांसद राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल ने कहा है कि जिस तरह से कोमी को निकाला गया है वह परेशान करने वाला है।

भारतीय मूल के पूर्व संघीय अभियोजक प्रीत भरारा ने कहा है, ‘प्रत्येक व्यक्ति जो अमेरिका में स्वतंत्रता और कानून के पालन की परवाह करता है वह कोमी की बर्खास्तगी के समय और उसके पीछे दिए कारणों से परेशान होगा।’

48 साल के भरारा को ट्रंप ने इस्तीफा देने से इन्कार करने के बाद बर्खास्त कर दिया था। रिपब्लिकन सांसद जॉन मैक्केन और रिचर्ड बर ने भी फैसले पर सवाल उठाते हुए रूसी भूमिका की जांच के लिए विशेष समिति की मांग की है।

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