कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन ने अवमानना के मामले में उन्हें दोषी ठहराने और छह महीने की जेल की सजा देने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
चीफ जस्टिस ने कर्णन के वकील से कहा कि जस्टिस सी एस कर्णन का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें अधिकृत करने संबंधी दस्तावेज दिखाये। उन्होंने कहा कि वह उन पर विचार करेंगे। चीफ जस्टिस ने वकील मैथ्यू जे नेदुम्परा से जानना चाहा कि न्यायमूर्ति कर्णन कहां है।
नेदुम्परा ने कहा कि जस्टिस कर्णन चेन्नई में हैं। उन्होंने कहा कि 12 एडवोकेट ने इससे पहले जस्टिस कर्णन का केस लड़ने से मना कर दिया था। न्यायमूर्ति कर्णन ने उन्हें अवमानना के मामले में छह महीने की जेल की सजा देने वाला सुप्रीम कोर्ट का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया है।
बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के जज सीएस कर्णन को 6 महीने की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कोलकाता के डीजीपी को आदेश दिया कि वो जल्द से जल्द कर्णन को गिरफ्तार कर जेल भेजे। सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यों वाली संविधानपीठ ने कर्णन को कोर्ट की अवमानना को दोषी ठहराया है। कर्णन हाईकोर्ट के जज हैं और इस पद पर रहते हुए गिरफ्तार होने वाले पहले जज होंगे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के बयान को मीडिया में प्रसारित और प्रकाशित करने पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि उनके आदेश का तत्काल पालन होना चाहिए।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
अडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह, सीनियर एडवोकेट केके वेणुगोपाल और रूपिंदर सिंह सूरी ने कहा कि जस्टिस कर्णन को सजा मिलनी ही चाहिए। हालांकि, वेणुगोपाल ने कहा, ‘अगर जस्टिस कर्णन को जेल भेजा जाता है कि इससे जुडिशरी पर एक पदासीन जज को जेल भेजने का कलंक लगेगा।’ इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवमानना के मामले में यह नहीं देखा जा सकता है कि ऐसा एक जज ने किया है या आम शख्स ने। चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने कहा, ‘अगर जस्टिस कर्णन जेल नहीं भेजे जाएंगे तो यह आरोप लगेगा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक जज की अवमानना को माफ कर दिया।’ कोर्ट ने कहा कि कर्णन को सजा इसलिए दी जा रही है क्योंकि उन्होंने खुद यह ऐलान किया था कि उनकी दिमागी हालत ठीक है।
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि जस्टिस कर्णन ने सोमवार को सीजेआई खेहर और उनके 6 साथी जजों को SC/ST एक्ट के प्रावधानों के तहत दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा के आदेश दिए हैं। जस्टिस कर्णन ने कहा कि 7 जजों ने संयुक्त रूप से 1989 के अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम और 2015 के संशोधित कानून के तहत दंडनीय अपराध किया है। जस्टिस कर्णन ने जिन जजों के नाम लिए उनमें प्रधान न्यायाधीश खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं। जस्टिस कर्णन ने सूची में जज जस्टिस आर भानुमति का नाम भी जोड़ा। जस्टिस भानुमति ने जस्टिस कर्णन को न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से रोका था।
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ जस्टिस कर्णन के लिखे पत्रों का स्वत: संज्ञान लिया था और 8 फरवरी को उनके प्रशासनिक तथा न्यायिक अधिकारों के उपयोग पर रोक लगा रखी है। जस्टिस कर्णन अवमानना कार्यवाही के सिलसिले में 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। वह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा करने वाले हाईकोर्ट के पहले जज हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन की दिमागी स्वास्थ्य की जांच के आदेश दिए थे। हालांकि कर्णन जांच कराने से इनकार कर दिया था।