नई दिल्ली: भारत को घेरने के उद्देश्य से चीन द्वारा शुरू किये वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट पर अब भारत और जापान मिलाकर एक बड़ी योजना शुरू कर रहे हैं। जिसके आगे चीन की वन बेल्ट वन रोड योजना फ्लॉप साबित होगी। भारत और जापान द्वारा इस योजना का रोड मैप तैयार किया जा चुका है। साथ ही इसे चीन की महत्वाकांक्षी परिजोजना वन बेल्ट वन रोड की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है।

 

चीन द्वारा शुरू की गई वन बेल्ट वन रोड योजना के बदले अब भारत ने भी जापान के साथ मिलकर चीन को टक्कर देने के लिए एक योजना पर विचार कर रही। इसके तहत दोनों देश पार्टनरशिप करके अफ्रीका, ईरान, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुत से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स बनाएगी। इसे चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट को टक्कर देने वाला बताया जा रहा है। भारत जापान की इस योजना से पूर्वी अफ्रीका में भारत और जापान इंफ्रास्ट्रक्चर और कपैसिटी बनाने से जुड़े प्रॉजेक्ट्स की फंडिंग करके कई विकास की बड़ी परियोजनाएं चलाएंगे हैं। ईरान के चाबहार पोर्ट के विस्तार और उसके नजदीक स्पेशल इकनॉमिक जोन पर भारत की ओर से किए जा रहे काम में जापान भी शामिल होगा।

इसके अलावा पूर्वी श्रीलंका में भारत और जापान संयुक्त रूप से त्रिंकोमाली पोर्ट का विस्तार कर सकते हैं। दोनों देशों की योजना थाइलैंड-म्यांमार सीमा पर दावेई पोर्ट को विकसित करने की भी है। जिससे चीन को एकबार उसी की चाल में घेरा जा सकेगा। भारत और जापान की ये कोशिशें एशिया-पैसिफिक से अफ्रीका तक ‘फ्रीडम कॉरिडोर’ बनाने की योजना का हिस्सा हैं। इसका मकसद इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के मद्देनजर संतुलन की स्थिति बनाने का है।

इसकी घोषणा भारत और जापान ने मिलकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले वर्ष नवंबर में जापान यात्रा के दौरान की थी। चीन अपना वन बेल्ट वन रोड के जरीय प्रभाव बढ़ा रहा है, जिसको कम करने के लिए भारत और जापान ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट शुरू किए हैं। अब इन पर प्रभावी गति से काम चलेगा।

 

मालूम हो कि चीन द्वारा शुरू की गयी वन बेल्ट वन रोड योजना जमीन और समुद्री रास्तों पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स का एक कॉरिडोर बनाने की है, जिसके जरिए दक्षिण-पूर्व एशिया को यूरोप से जोड़ा जाएगा। जिसको लेकर भारत और जापान दोनों ही बेहद चिंतित हैं।

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