मंगलवार सुबह से ही लालू यादव से जुड़े दिल्ली और गुरूग्राम के 22 ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी के बाद से ही सियासी भूचाल आ गया है. छापेमारी के बाद एक बार फिर से बिहार की राजनीति में गरमाहट आने वाली है.
लालू यादव और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ इस बात का आरोप है कि एक हजार करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति की खरीददारी की गई है. बीजेपी विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी ने एक के बाद एक आरोपों की झड़ी लगाकर लालू यादव को मुश्किल में डाल रखा था.
लालू और उनके बेटों पर गलत तरीके से बेनामी संपत्ति अपने नाम करने का आरोप था. लालू यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती पर भी दिल्ली और आस पास के इलाकों में गलत ढंग से बेनामी संपत्ति बनाने का आरोप लगा था. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बारे में खुलासा करते हुए लालू और उनके परिवार के ऊपर गंभीर आरोप लगाए था.
राज्यसभा चुनाव के वक्त चुनाव आयोग में अपने हलफनामे में इस संपत्ति के बारे में जानकारी नहीं देने का आरोप मीसा भारती पर लगा था.
संपत्ति के लेन-देन और खरीद फरोख्त के मामले में आरजेडी नेता प्रेमचंद गुप्ता के भी शामिल होने का आरोप है. प्रेमचंद गुप्ता के बेटे के ठिकाने पर भी छापेमारी की गई है.
बिहार की सियासत बदलेंगे ये छापे?
पहले से ही इन मामलों को लेकर बिहार की सियासत काफी गरम है. बीजेपी नेता सुशील मोदी की तरफ से किए जा रहे खुलासे के बाद लालू पहले से ही बैकफुट पर थे. लालू यादव और उनके परिवार के लोगों पर इस बात का आरोप था कि बिहार में 7.5 एकड़ में बन रहे सबसे बड़े मॉल में भी घोटाला हुआ था और गलत तरीके से लालू के परिवार वालों की संपत्ति में हिस्सेदारी मिली थी.
अब इस छापेमारी से लालू और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. खास तौर से लालू की पहले से ही खराब छवि पर और अधिक असर पड़ेगा. बिहार में नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार चला रही आरजेडी को भी इस बात का एहसास है कि इस वक्त पार्टी के मुखिया के भ्रष्टाचार के मामले में घिरने पर उसकी हालत फिर कमजोर हो सकती है.
आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने तो इस इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी के बाद कहा है कि बीजेपी इस वक्त घबराहट में लालू यादव पर इस तरह कारवाई कर रही है. लेकिन, इससे हम डरने वाले नहीं हैं.
हालांकि, बीजेपी की तरफ से इस पूरे मामले में मोर्चा संभाल रहे सुशील मोदी का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बारे में कोई कारवाई नहीं कर पाए.
एक बात साफ है कि इस कारवाई के बाद लालू यादव चौतरफा घिर गए हैं. लालू यादव के दोनों बेटों- उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और मंत्री तेजप्रताप यादव- और राज्यसभा सांसद बेटी मीसा भारती पर गलत तरीके से संपत्ति बनाने का आरोप है. दिल्ली और आसपास के इलाके में संपत्ति बनाने के मामले में लालू के पते का ही इस्तेमाल किया गया था.
इसके पहले चारा घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी लालू यादव को बड़ा झटका लग चुका है. लालू यादव के खिलाफ अलग-अलग मामलों में अब अलग-अलग सुनवाई होगी.
नीतीश के हाथ मजबूत
आरोपों के चक्रव्यूह में फंसे लालू यादव और उनकी पार्टी नेताओं की तरफ से भले ही बीजेपी पर वार किए जा रहे हों. लेकिन इतना तो तय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बना लालू का दवाब अब पूरी तरह से खत्म हो जाएगा.
कमजोर होते लालू, नीतीश को मजबूत करते नजर आएंगे. गठबंधन के तमाम अंतरविरोधों के बावजूद लालू हर हाल में नीतीश कुमार के नेतृत्व को पहले की तरह ही आगे मानने पर मजबूर होंगे.
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. मतलब साफ है कि इस कारवाई को नीतीश कुमार केंद्र की कारवाई बताकर अपना पल्ला झाड़ लेंगे जबकि, दूसरी तरफ लालू के पास नीतीश के सामने दंडवत होने के अलावा कोई और चारा न होगा.
हालांकि सवाल नीतीश कुमार पर भी खड़े होंगे- क्या नीतीश कुमार लालू के इस पूरे मामले में चुप्पी साधेंगे या फिर लालू के खिलाफ कारवाई भी करके दिखाएंगे? इस पूरे मामले में नीतीश की चुप्पी उनकी छवि पर भी सवालिया निशान लगा देगी.