श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने सैटेलाइट GSAT-9 का शुक्रवार की शाम को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इस उपग्रह से सार्क देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन पाकिस्तान ने इस पूरे कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी। वह इससे बाहर है।
GSAT-9 को चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, दक्षिण एशियाई उपग्रह का सफल प्रक्षेपण ऐतिहासिक क्षण, इससे संबंधों के नए आयाम की शुरुआत होगी।
करीब 450 करोड़ की लागत से बने जीसैट-9 को भारत की ओर से उसके दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के लिए उपहार माना जा रहा है। उपग्रह को इसरो का रॉकेट जीएसएलवी-एफ 09 लेकर जाएगा।
इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने गुरुवार को बताया था कि आठ सार्क देशों में से सात भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव परियोजना का हिस्सा हैं। पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है।
दक्षिण एशियाई देशों को संचार और आपदा में मिलेगी मदद
इस उपग्रह की लागत करीब 450 करोड़ रुपये है। प्रक्षेपण उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है। इसका मिशन जीवनकाल 12 साल का है। मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क उपग्रह बनाने के लिए कहा था वह पड़ोसी देशों को भारत की ओर से उपहार होगा।
गत रविवार को मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की ओर से कीमती उपहार होगा। मोदी ने कहा था, पांच मई को भारत दक्षिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा।
भविष्य के प्रक्षेपणों के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि इसरो जीएसएलवी एमके 3 के बाद पीएसएलवी का प्रक्षेपण करेगा। उन्होंने कहा कि इसरो अगले साल की शुरुआत में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण करेगा। इससे पहले संचार उपग्रह जीएसएटी-8 का प्रक्षेपण 21 मई 2011 को फ्रेंच गुएना के कोउरो से हुआ था।