एजेंसी
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी है। याचिका में राहुल पर कार्रवाई करने की मांग की गयी थी, साथ ही उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराये जाने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया था कि उन्होंने स्वेच्छा से ब्रिटिश नागरिकता ली हुई है। याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, हम इस याचिका को खारिज करते हैं। इसमें हमें कोई योग्यता नहीं मिली है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि एक फॉर्म में राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने का कथित रूप से उल्लेख है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि 2005-06 में ब्रिटेन की एक कंपनी के वार्षिक डाटा के साथ संलग्न फार्म में राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने का कथित रूप से उल्लेख है। पीठ ने कहा, यदि कोई कंपनी किसी फॉर्म में उनकी राष्ट्रीयता ब्रिटिश लिख दे, तो इससे वह ब्रिटिश नागरिक नहीं बन जाते।
दो मई को राहुल गांधी की नागरिकता के बारे में फैसला होने तक उनके लोकसभा के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष जय भगवान गोयल और सीपी त्यागी की इस याचिका का उल्लेख किया गया, जिस पर पीठ ने कहा था, हम इसे देखेंगे। इस याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा स्वेच्छा से ब्रिटेन की नागरिकता स्वीकार करने के सवाल पर भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के नवंबर, 2015 के बावजूद इस मामले में फैसला लेने में केंद्र और निर्वाचन आयोग की निष्क्रियता से असंतुष्ट हैं। गृह मंत्रालय ने हाल ही में राहुल गांधी को एक नोटिस देकर उनकी नागरिकता के बारे में शिकायत में उठाये गये सवाल पर एक पखवाड़े के भीतर तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस संबंध में गृह मंत्रालय और निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रथम दृष्ट्या साक्ष्य पेश किये गये हैं और ऐसी स्थिति में राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी। राहुल उत्तर प्रदेश के अमेठी और केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।
तेज बहादुर की नामांकन रद्द के खिलाफ याचिका खारिज
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बीएसएफ से बर्खास्त जवान और एसपी प्रत्याशी तेज बहादुर यादव की याचिका खारिज कर दी है। तेज बहादुर यादव ने वाराणसी से नामांकन रद्द होने के खिलाफ उच्चतम न्यायलय में याचिका डाली थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर दखल नहीं देंगे। तेज बहादुर यादव की याचिका को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने खारिज किया। बता दें कि तेज बहादुर यादव वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए पहले निर्दलीय खड़े हुए थे और इसके बाद उन्हें समाजवादी पार्टी ने टिकट दे दिया था। लेकिन, वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी ने एक मई को उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया था। निर्वाचन अधिकारी का कहना था कि यादव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं। दरअसल, जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के तहत उन्हें इस आशय का प्रमाण पत्र देना आवश्यक था कि उन्हें भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया है। इसके बाद तेज बहादुर यादव ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वाराणसी में 19 मई को आखिरी चरण में मतदान होना है।
वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी ने यादव द्वारा दाखिल नामांकन के दो सेटों में विसंगति को लेकर नोटिस जारी किया था।
एसएससी परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने को हरी झंडी
नयी दिल्ली। 2017 में हुई एसएससी सीजीएल परीक्षा पेपर लीक मामले में उच्चतम न्यायालय ने परिणाम जारी करने पर लगी रोक हटा ली है। अदालत ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) को केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती को लेकर आयोजित सीजीएल 2017 के परीक्षा परिणाम जारी करने के निर्देश दिये हैं। एसएससी एक सरकारी निकाय है, जो विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों की भर्ती के लिए समय-समय पर परीक्षाओं का आयोजन करता है। इसके अलावा अदालत ने सेवानिवृत्त जज के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है। यह समिति सुझाव देगी कि कैसे नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं को पूरी सुरक्षा और पारदर्शिता के साथ आयोजित करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए।
अपने आदेश में कोर्ट का कहना है कि जज जीएस सिंघवी के नेतृत्व वाली सात सदस्यीय समिति में इंफोसिस के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि और वैज्ञानिक विजय भाटकर भी शामिल होंगे। पिछले कई महीनों से पीठ 2017 में हुई एसएससी की संयुक्त स्नातक स्तर (सीजीएल) परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने और इन प्रश्नपत्रों को निरस्त करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। न्यायमूर्ति एसए बोबडे और एनवी रामाना की पीठ ने मंगलवार को याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण के न आने की वजह से सुनवाई स्थगित कर दी थी। उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने सीबीआइ को मामले में नयी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। एसएससी सीजेएल की परीक्षा के पर्चे कथित तौर पर लीक हो गये, जिसके कारण बड़ी संख्या में रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं ने कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था।