नई दिल्ली : उत्तरी दिल्ली के भलस्वा डेयरी इलाके में कई अनाधिकृत कॉलोनियां हैं। यहां दर्जनों हैंडपंप हैं। गरीबी के कारण यहां रहने वाले हजारों लोग येलो-ऑरेंज पानी पीने को मजबूर हैं। भलस्वा लैंडफिल के कचरे के कारण यहां का भूजल काफी दूषित हो गया है।
1990 में यहां 3 लैंडफिल्स को मान्यता मिली थी और हाल में हुए एक सर्वे में पाया गया कि इनकी वजह से यहां का भूजल दूषित हो रहा है। भलस्वा इलाका गाजीपुर और ओखला से ज्यादा प्रदूषित है। इन तीनों जगहों पर ऑक्सीजिन डिमांड 2,82 पीपीएम से 3,300 पीपीएम है, जो पोटेबल वॉटर के स्वीकार्य लेवल 3-5पीपीएम से काफी ज्यादा है, वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय मानकों से तुलना करें तो पेयजल के लिए केमिकल ऑक्सीजन का लेवल 10 पीपीएम है, जबकि यहां यह 4,400 से 5.840 पीपीएम के बीच है।
भलस्वा के भूजल सैंपल में कई सॉलिड और धातु घुले हुए मिले, जो तय मानकों से ज्यादा मात्रा में थे। गाजीपुर के सैंपल में यह मात्रा 510 एमजी प्रति लीटर से 3,250 मिली जबकि स्टैंडर्ड 250 एमजी प्रति लीटर है। सैंपल में अमोनिया, क्लोराइड, सल्फेट और नाइट्रेट भी काफी मात्रा में पाए गए। स्टडी में पाया गया कि यह पानी पीने के लायक नहीं है, साथ ही कई अन्य कामों में भी इस पानी का इस्तेमाल किया जाना सही नहीं है।