New Delhi: भारत और फ्रांस की नौसेना ने शुक्रवार को हिंद महासागर में अपना सबसे बड़ा युद्धाभ्यास किया। दरअसल, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर के समुद्री मार्गों पर दुनियाभर की नजरें हैं। भारत और फ्रांस, चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव तथा दक्षिण चीन सागर में तनाव पैदा करने वाले इसके क्षेत्रीय दावों को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में दोनों देशों के इस बड़े कदम को काफी महत्वपूर्ण और चीन के लिए संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।

फ्रांस के बेड़े (जिसमें उसका एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल है) की कमान संभाल रहे रियर ऐडमिरल ऑलिवियर लेबास ने कहा, ‘हमें लगता है कि हम इस क्षेत्र में ज्यादा स्थिरता ला सकते हैं, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और जिसमें विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय कारोबार को लेकर बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है।’ एशिया और यूरोप तथा पश्चिम एशिया के बीच ज्यादातर कारोबार (खासतौर से तेल) समुद्र के जरिए होता है। इतना ही नहीं, समुद्र अपने तेल और गैस फील्ड्स को लेकर भी काफी समृद्ध है।

भारत के गोवा राज्य के तट पर 17वें सालाना युद्धाभ्यास में भाग लेने वाला करीब 42,000 टन का ‘चार्ल्स डि गॉले’ कुल 12 युद्धपोतों और पनडुब्बियों में से एक है। दोनों देशों के छह-छह युद्धपोत और पनडुब्बियां इसमें भाग ले रहे हैं। इस अभ्यास में फ्रांस ने अपने राफेल लड़ाकू विमानों को भी उतारा।

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