Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, May 14
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»चटक नहीं दिख रहा महापर्व का उत्सवी रंग
    Top Story

    चटक नहीं दिख रहा महापर्व का उत्सवी रंग

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMay 18, 2019Updated:May 18, 2019No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    भोंपू का शोर न जनता का जोर, प्रत्याशी दिखा रहे हैं जोशसिदो-कान्हू, चांद भैरव और तिलका मांझी की धरती में एक बार फिर इतिहास लिखने की अकुलाहट दिख रही है। उलगुलान की धरती पर रण में उतरे तमाम योद्धा अपने तरकश के हर तीर को छोड़ रहे हैं। बावजूद इसके जनता की चुप्पी इन्हें हलकान किये हुए है। कहीं किसी की जोर-आजमाइश नहीं चल रही है।
    अगर कहीं जोर-आजमाइश है, तो वह प्रत्याशियों और उनके कार्यकर्ताओं के बीच है। लोकतंत्र के इस महापर्व में लोक सामने नहीं आ रहा है। यही वजह है कि हर पार्टी आकलन करने में असमर्थ दिख रही है। न बैनर न पोस्टर, बस कहीं-कहीं पार्टियों के झंडे दिख रहे हैं। एक समय प्रचार का सबसे बड़ा हथियार भोंपू पूरी तरह से शांत है। जनता नेताओं के बुलावे पर चुनावी सभा में जुटती तो जरूर है, पर खुलकर कुछ कहती नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम हो या झारखंड के बड़े नेता रघुवर दास, बाबूलाल मरांडी, शिबू सोरेन का, जय-जयकार तो हो रहा है, लेकिन स्पष्ट रूझान सामने नहीं आ रहा है।
    संसद में तीन लोकसभा सीट देनेवाला संथाल इस बार किसके माथे सेहरा बांधेगा, यह स्पष्ट नहीं है। यह धरती झामुमो के लिए सबसे उर्वरा धरती रही है। जाहिर है कि यहां की जीत-हार से झामुमो का भविष्य तय होगा। वहीं भाजपा इस जमीन पर कमल खिलाने को बेताब है। पिछले पांच वर्षों में देखा जाये, तो झामुमो की जड़ कुरेदने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। भाजपा के सबसे बड़े नेता ने इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा कार्यक्रम किये हैं। केंद्र की भाजपा सरकार हो या राज्य की, यहां सौगातों की भरमार कर दी है। सरकार की सौगात का अहसास भी संथाल की धरती पर होता है। जिस जमीन पर पांच साल पहले हिचकोले खाती गाड़ियां चलती थीं, आज वहां गाड़ियां सरपट दौड़ रही हैं। संथाल के लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि उसके इलाके में अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह बनेगा, अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनेगा और देश की सबसे बड़ी मेडिकल संस्था एम्स यहां भी खुलेगा। यह सच है कि जो 2014 में सपने दिखाये गये थे, वे धरातल पर उतारे जा रहे हैं। लेकिन दूसरा पक्ष यह है कि भीषण गरीबी और अशिक्षा का दंश झेल रही जनता को आज भी रोटी-कपड़ा और मकान के जद्दोजहद में सांसें फूल रही हैं।
    इसका फायदा लगातार राजनीतिक दलों के द्वारा उठाया जा रहा है। इस क्षेत्र में आज भी गुरुजी के प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता है। दुमका, जामा, लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, बोरियो, बरहेट, अमरापाड़ा, नाला का पूरा क्षेत्र अगर किसी की बात सुनता है, तो वह शिबू सोरेन ही है। लेकिन इस बार विकास की ललक इन क्षेत्रों की जनता में दिख रही है। यही वजह है कि चुनाव प्रचार में जब भी गुरुजी निकलते हैं, तो एक ही बात कहते हैं- यह मेरी आखिरी पाली है, इस बार जीता दो। पहली बार गुरुजी को हाथ जोड़कर जनता से आरजू-मिन्नतें करते देखा जा रहा है। भाजपा भी इस मर्म को समझ रही है।
    यही कारण है कि भाजपा के लोग भी यह मैसेज फैलाने की पूरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं कि आखिर आप अपना वोट किसे दे रहे हैं, उसे जो बीमार है, जो बोल नहीं सकता, ठीक से चल नहीं सकता, जो पांच साल में एक बार भी क्षेत्र में नहीं दिखता, जो संसद में जनता की समस्याओं को नहीं उठाता, आखिर ऐसे जनप्रतिनिधि को चुनने का क्या मतलब है। कहीं न कहीं इस बात का प्रभाव जनता पर भी दिख रहा है। जामताड़ा, दुमका और नाला में यह बात चर्चा में है। जामा के शहरी इलाके में भी लोगों के बीच भाजपा की बातों की सुगबुगाहट है। इधर, राजमहल में हेमलाल साहेब बनने के लिए एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं। वहीं दूसरी ओर विजय हांसदा एक बार फिर विजयश्री के लिए पसीना बहा रहे हैं। इस सीट पर भी जनता की खामोशी देखी जा रही है। बोरियो, राजमहल में कमल खिला-खिला दिख रहा है, तो बरहेट, लिट्टीपाड़ा और पाकुड़ में तीर-धनुष ने कमल का दम फूला रखा है।
    इस इलाके के कई क्षेत्रों में वर्तमान सांसद के खिलाफ एंटी इनकमवैंसी हावी है। इस क्षेत्र में शिबू का नहीं जाना झामुमो के लिए परेशानी का सबब है। हालांकि हेमंत ने इस इलाके की खाक छान मारी है। प्लस प्वाइंट यह है कि बाबूलाल मरांडी ने भी यहां कई सभाएं की हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं के बल पर बूथ मजबूत किये हुए है। इसमें झामुमो कमजोर दिख रहा है। वहीं बात गोड्डा लोकसभा की करें, तो गोड्डा जिले में प्रदीप यादव अपने प्रतिद्वंद्वी निशिकांत दुबे की नींद उड़ाये हुए हैं, तो देवघर जिला में निशिकांत के आगे प्रदीप यादव की एक नहीं चल रही है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद बाबानगरी में जबरदस्त शमा भाजपा के पक्ष में तैयार हुआ है। इसी को भांपते हुए बाबूलाल मरांडी ने अंतिम समय में अपनी पूरी ताकत देवघर जिले में झोंक रखी है।
    वहीं भाजपा भी अपनी पूरी ताकत गोड्डा में झोंक दी है। जरमुंडी विधानसभा में कांग्रेस के विधायक तो हैं, लेकिन आज भी पूर्व विधायक देवेंद्र कुंवर का जलवा यहां के कई जगहों पर कायम है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि देवेंद्र कुंवर भाजपा से हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय में भी इनकी जबरदस्त पकड़ देखी जा रही है। जुम्मे की नमाज के बाद यहां की सबसे बड़ी मसजिद में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इन्हें आमंत्रित किया और भाजपा को समर्थन देने तक की बात कही। अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता की खामोशी इवीएम के बटन पर जाकर ही खुलेगी या फिर मतदान के कुछ घंटे पहले। बहरहाल, संथाल में किसके सिर सजता है ताज और किस पर गिरती है गाज, यह तो 23 मई को पता चलेगा, लेकिन दोनों ही पक्ष की सांसें फूली हुई हैं।
    हालांकि दोनों पक्ष के नेताओं का दावा है कि तीनों सीट उनकी झोली में आयेगी। नेता भले ही दावा कर लें, फैसला तो जनता को करना है। जनता है कि हम तो चुप रहेंगे, पहले कुछ नहीं कहेंगे, इवीएम पर जाकर अपनी राय रखेंगे।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticlePMO ने विभागों से मांगा वेकंसी का डेटा
    Next Article पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेंगे: PM
    azad sipahi desk

      Related Posts

      सीएम हेमंत सोरेन ने सीबीएसइ के विद्यार्थियों को दी बधाई

      May 13, 2025

      साइबर अपराधियों ने सीसीएल की वेबसाइट की हैक, प्रबंधन में हड़कंप

      May 13, 2025

      ट्रेड यूनियनों हडताल 20 मई से, खनन सहित कई सेवाएं होंगी प्रभावित

      May 13, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • कांग्रेसी अपना दोहरा राजनीतिक चरित्र दिखाना बंद करे: प्रतुल
      • सीएम हेमंत सोरेन ने सीबीएसइ के विद्यार्थियों को दी बधाई
      • साइबर अपराधियों ने सीसीएल की वेबसाइट की हैक, प्रबंधन में हड़कंप
      • हाईकोर्ट में बगैर अधिकार केसों का स्टेटस बदलने का मामला, जांच में साफ्टवेयर कम्पनी जिम्मेदार
      • सीबीएसई बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में जनपद की टॉपर बनीं तेजस्वी सिंह
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version