बाघमारा के दबंग विधायक और अपने इलाके में टाइगर के नाम से चर्चित ढुल्लू महतो को आखिर कानून के हाथों में आना ही पड़ा। सोमवार को जब वह धनबाद की न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने सरेंडर करने पहुंचे, उनके सारे तेवर ढीले पड़ चुके थे। ढुल्लू के साथ कोई लाव-लश्कर नहीं था और वह अकेले आये थे। कुछ मिनटों की औपचारिकता के बाद बाघमारा समेत पूरे धनबाद में कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाने और समानांतर व्यवस्था कायम करनेवाले इस विधायक को जेल भेज दिया गया। इस तरह ढुल्लू महतो की दबंगई का एक चक्र पूरा हो गया। इसके अलावा ढुल्लू महतो प्रकरण ने एक बार फिर कानून और इंसाफ का इकबाल कायम किया है। जो विधायक पुलिस हिरासत से आरोपी को छुड़ा ले जाने की हिमाकत कर सकता है और जिसने कानून को अपनी जेब में रखने का एलान कर रखा हो, उसे उसी कानून के सामने गिड़गिड़ाता देखना एक सुखद अनुभव है। ढुल्लू महतो के जेल जाने के बाद अब यह साफ हो गया है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और उसे अधिक दिनों तक अंधेरे में नहीं रखा जा सकता है। ढुल्लू महतो ने पूरे धनबाद कोयलांचल में अपना सिक्का चला रखा था। उनकी इजाजत के बिना वहां पत्ता भी नहीं खड़कता था। धनबाद का व्यवसाय जगत सहित समाज का हर वर्ग उनकी दबंगई से परेशान था और कई लोग तो इलाका ही छोड़ चुके हैं। ढुल्लू महतो प्रकरण की पृष्ठभूमि में दबंग जन प्रतिनिधियों की भूमिका और प्रशासनिक जिम्मेदारियों का विश्लेषण करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
गुम हो गयी हेकड़ी, इलाके के लोगों ने ली राहत की सांस
वाकया विधानसभा चुनाव से ठीक पहले का है। देश भर में कोयले की राजधानी के नाम से मशहूर धनबाद के बाघमारा इलाके में मीडिया की टीम चुनाव कवरेज के लिए गयी हुई थी। शाम होने को थी, तो मीडियाकर्मी धनबाद लौटने की जल्दी में थे। तभी उनकी मुलाकात विधायक ढुल्लू महतो से हो गयी। ढुल्लू ने मीडियाकर्मियों से कहा, आप कुछ भी कर लें, बाघमारा में जीत हमारी ही होगी, क्योंकि यहां हमारा राज चलता है। हम यहां के टाइगर हैं। मीडिया में यह खबर भी आयी। सचमुच ढुल्लू विधानसभा चुनाव जीत कर दोबारा विधायक बन गये।
वही ढुल्लू महतो सोमवार को जब धनबाद की अदालत में सरेंडर करने पहुंचे, तो उनके तेवर पूरी तरह ढीले पड़ चुके थे। कानून के आगे हाथ जोड़ कर खड़े थे और बाद में सिर झुकाये चुपचाप जेल चले गये।
ढुल्लू महतो बाघमारा इलाके के स्वघोषित बेताज बादशाह के रूप में चर्चित रहे हैं। जिस धनबाद कोयलांचल में कभी सिंह मेंशन, रघुकुल और रामायण की तूती बोलती थी, वहां पिछले कुछ वर्षों में टाइगर की दहाड़ सुनी जाने लगी थी। विधायक पद का रौब और पूर्व की सत्ता के खुलेआम समर्थन के बल पर ढुल्लू ने कोयलांचल में अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। खदान से बाहर निकलनेवाले कोयले की लोडिंग में वह लेवी वसूलने लगे। कोयला व्यवसाय से जुड़े लोग उनके आतंक से त्राहि-त्राहि करने लगे। इलाके में कोई भी काम विधायक की इजाजत के बिना नहीं होता था। विधायक के रौब की स्थिति यह थी कि पुलिस भी उनके खिलाफ शिकायत नहीं सुनती थी। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक गुहार लगायी गयी, लेकिन ढुल्लू पर अंकुश लगाने की हिम्मत किसी की नहीं हुई। लोग उस समय बेहद हैरत में पड़ गये थे, जब चुनाव प्रचार के दौरान राज्य के तत्कालीन मुखिया ने कहा था कि ढुल्लू के कारण बाघमारा इलाके में राम राज कायम हो गया है।
ढुल्लू महतो ने कानून का, व्यवस्था का और स्थापित मान्यताओं का जी भर कर मजाक उड़ाया। पुलिस की हिरासत से वारंटी को छुड़ाने के आरोप में अदालत से सजा सुनाये जाने के बाद भी उनकी दबंगई कम नहीं हुई। वह जब चाहते थे, तब किसी को भी उठवा लेते थे। मारपीट आम बात थी। यहां तक कि तत्कालीन सांसद के खिलाफ भी उन्होंने कई अनाप-शनाप आरोप लगाये, लेकिन उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका।
आखिर ढुल्लू महतो को यह ताकत कहां से मिली। कोयला खदान में एक सामान्य लोडर के रूप में जीवन की शुरूआत करनेवाले ढुल्लू ने किस तरह अकूत संपत्ति अर्जित कर ली, यह किसी फिल्मी कहानी से कम रोमांचक नहीं है। पैसा आ गया, तो राजनीति में इंट्री भी हो गयी और इसके बाद ढुल्लू ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उन्होंने बहुत जल्द व्यवस्था को अपने पक्ष में करने की सिद्धि हासिल कर ली और इसके बल पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया।
लेकिन ढुल्लू महतो प्रकरण ने साबित कर दिया है कि एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि जब निरंकुशता की सीमा पार कर जाता है, तो लोकतांत्रिक व्यवस्था में उसका प्रतिकार होने लगता है। झारखंड का दो दशक का इतिहास गवाह है कि जब-जब जन प्रतिनिधियों ने सीमाएं लांघी हैं, उन्हें उसकी कीमत चुकानी पड़ी है। चाहे अपराध हो या भ्रष्टाचार, दबंगई हो या कोई और समाज विरोधी काम, जनता ने उसका जवाब जरूर दिया है। इसलिए ढुल्लू महतो का जेल जाना जन प्रतिनिधियों के लिए एक सबक भी है। उन्हें समझ लेना चाहिए कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। ढुल्लू महतो को उनके लोग भले ही टाइगर कहते हों, लेकिन झारखंड का कानून टाइगरों को भी पिंजरे में कैद कर सकता है।
अब ढुल्लू महतो के प्रकरण में कानून अपना काम करेगा, लेकिन यह पुलिस प्रशासन के लिए खुद को साबित करने का एक अच्छा अवसर भी है। पुलिस को अपनी जांच और सबूत एकत्र करने में पूरी ईमानदारी से काम करना होगा, ताकि बाघमारा इलाके के लोगों को इस दबंगई से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सके। पुलिस को इस दबंग विधायक के खिलाफ गवाह की तलाश करना भी एक चुनौती ही होगी, क्योंकि विधायक के खिलाफ गवाही देने की हिम्मत अधिकांश लोग नहीं जुटा सकेंगे। ऐसे लोगों को भरोसे में लेना पुलिस के लिए कठिन हो सकता है।
ढुल्लू महतो की आपराधिक पृष्ठभूमि की फेहरिश्त लंबी है। कुछ में इन्हें सजा हो चुकी है, तो कुछ में जमानत, तो कुछ में ये फरार चल रहे थे। इन पर धनबाद इलाके में रंगदारी मांगने, कोयला तस्करी करने और करवाने और भाजपा नेत्री के साथ यौन उत्पीड़ने का प्रयास करने का आरोप है। चूंकि झारखंड में सरकार बदलने और लगातार उनके खिलाफ पुलिस की दबिश के बाद ढुल्लू महतो कोर्ट में आत्मसमर्पण किया है, साक पुलिस को अब नये सिरे से मामले की जांच करनी होगी। पहले की पुलिस तो लीपापोती की तमाम कोशिशें कर चुकी थीं, लेकिन अब बदली परिस्थिति में इसमें कोई चूक अब जनता को स्वीकार नहीं होगी। इसलिए पुलिस के सामने ढुल्लू को सजा के बिंदु तक ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। दो अन्य मामलों में उन्हें पहले ही सजा सुनायी जा चुकी है। इसलिए इस मामले में उनके खिलाफ सबूत एकत्र करने में बहुत मुश्किल नहीं होनी चाहिए।