आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। हाल के दिनों में चर्चा में आये इंस्पेक्टर राजेश प्रकाश सिन्हा को एक आइजी स्तर के अधिकारी का वरदहस्त प्राप्त है। यही वजह है कि अपनी सेवा काल का एक बड़ा हिस्सा सिन्हा ने जमशेदपुर में ही गुजारा। दारोगा के रूप में वह वर्ष 2000 से 2008 तक रहे। उस दौरान जमशेदपुर के कई थाना के प्रभारी भी रहे। 2009 में लोकसभा चुनाव हुआ। चुनाव आयोग के निर्देश पर तीन साल या उससे अधिक समय से पदस्थापित अधिकारियों को बदला गया। सिन्हा का भी तबादला उस समय एसटीएफ में हो गया था। पहुंच इतनी कि कुछ ही दिन बाद एसटीएफ से उनका डेपुटेशन जमशेदपुर के जिला पुलिस के टेक्निकल सेल में कर दिया गया। वहां वह लंबी अवधि तक रहे। जिस अधिकारी का वरदहस्त इस इंस्पेक्टर पर है, वह जब पुलिस मुख्यालय में आये, तो उन्हें फिर जिला में पदस्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी। विशेष शाखा से ही सुधीर कुमार की भी प्रतिनियुक्ति जिला बल में कर दी गयी। बाद में उन्हें प्रतिनियुक्ति काल में ही सिदगोड़ा का थाना प्रभारी बनाया गया, जो नियम विरुद्ध था। राजेश प्रकाश सिन्हा के कारण बिष्टुपुर थाना को दो महीना तक खाली रखा गया था। कुछ दिनों के लिए पुलिस मुख्यालय में प्रतिनियुक्त राजेश सिन्हा फिर से जमशेदपुर के इंस्पेक्टर बने और बिष्टुपुर के थानेदार बना दिये गये। अभी कुछ दिन पहले उन्हें गंभीर आरोप में निलंबित किया गया है।

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