10 घंटे तक भटकती रही महिला, फिर लौट गयी घर, बाद में पुलिस की मदद से रिम्स पहुंची
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। राजधानी के अस्पतालों को न तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश की परवाह है और न स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की। इन्हें स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी की चेतावनी का भी डर नहीं है। इसलिए मंगलवार को तीन अस्पतालों ने एक गर्भवती को भर्ती तो नहीं ही किया, सदर अस्पताल की एक चिकित्सक ने उसे डांट कर भगा दिया। वह महिला 10 घंटे तक असहनीय दर्द से कराहती रही और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक पैदल भटकती रही। बाद में वह घर लौट गयी। कई घंटे बाद पुलिस की मदद से उसे रिम्स में भर्ती कराया गया।
मामला मधुकम की महिला का है। मंगलवार सुबह उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुआ। सुबह साढ़े नौ बजे वह एंबुलेंस से डोरंडा अस्पताल पहुंची थी। वहां चिकित्सक ने कहा कि कोरोना की जांच के बिना इलाज नहीं किया जायेगा। डोरंडा अस्पताल में सैंपल जांच की व्यवस्था है, लेकिन कोई कर्मी नहीं था। तब महिला को पैदल ही सदर अस्पताल की तरफ जाना पड़ा। साथ में पति और सास भी थे। तीन किलोमीटर पैदल चलने के बाद सुजाता चौक पहुंचते-पहुंचते उसकी स्थिति खराब हो गयी। इस पर कुछ मीडिया वालों ने एसडीओ को सूचना दी। एसडीओ ने उसे गुरुनानक अस्पताल ले जाने को कहा। वहां अपराह्न 12.20 बजे गर्भवती की कोविड की जांच हुई। वहां से उसे दोबारा डोरंडा अस्पताल भेजा गया। करीब डेढ़ बजे वह डोरंडा अस्पताल पहुंची, लेकिन वहां से महिला को सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। तब तक साढ़े तीन बज चुके थे।
सदर अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सक का व्यवहार महिला के प्रति अच्छा नहीं रहा। उल्टे उसे फटकार लगाकर वापस भेज दिया गया। महिला चिकित्सक ने कहा कि रिपोर्ट आने पर ही उसे भर्ती किया जायेगा। तब परिजन मजबूर होकर गर्भवती को रिक्शे पर बैठा कर वापस मधुकम स्थित घर ले गये। वहां उसकी स्थिति बिगड़ गयी। तब परिजनों ने पुलिस की मदद से महिला को रिम्स में भर्ती कराया।