कोरोना के अलावा दूसरे मरीजों के इलाज में कोताही बरतने के मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. इस सिलसिले में सरकार की ओर खासकर निजी अस्पतालों और क्लिनिकों के कड़े संदेश दिये गये हैं. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने निजी अस्पतालों और क्लिनिकों को सख्त हिदायत दी है. उन्होंने कहा कि जो अस्पताल नॉन कोविड मरीजों के इलाज में कोताही बरतेगा, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे अस्पतालों और क्लिनिकों के निबंधन को भी रद्द किया जा सकता है.

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी अस्पताल (सरकारी या निजी) गैर कोरोना मरीजों को इलाज से वंचित नहीं रख सकते हैं. लेकिन निजी क्षेत्र के अस्पताल अपने नियमित रोगियों को डायलिसिस, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, कीमोथेरेपी और प्रसव जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने में संकोच कर रहे हैं.

संक्रमण के भय के कारण संचालक अपने अस्पतालों और क्लिनिकों को बंद रखे हुए हैं.

वहीं झारखंड में सोमवार को लगातार दूसरे दिन कोई भी कोरोना वायरस संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया जबकि संक्रमित लोगों में से दो लोग स्वस्थ घोषित किये गए. राज्य में अब कुल संक्रमितों की संख्या 115 ही बनी हुई है जबकि विभिन्न अस्पतालों में 85 लोगों का इलाज चल रहा है.

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