महाराष्ट्र सरकार को कोरोना संक्रमण की महामारी से निपटने के लिए 42,235 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज लेना पड़ सकता है। कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में ही हैं। घरेलू रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने सोमवार को कहा है कि महाराष्ट्र ने अपने बजट में राजस्व घाटे को उपयुक्त स्तर पर रखा है। आंध्र प्रदेश, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु जैसे दूसरे राज्यों ने भी अपने बजट में ऐसी ही व्यवस्था की है। लेकिन, इन राज्यों का राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के तीन फीसद के भीतर है जो उन्हें अधिक कर्ज की गुंजाइश देता है।
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई, पुणे व नागपुर में कोरोना संक्रमितों की संख्या अधिक है, जिसके कारण इन्हें रेड जोन में रखा गया है।
ऐसे में यहां आर्थिक गतिविधियां सीमिति हैं। रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘महाराष्ट्र सरकार अपनी उधारी 42,235 करोड़ रुपये और बढ़ा सकती है। इसके अलावा तमिलनाडु 3,347 करोड़ रुपये, हरियाणा 2,537 करोड़ रुपये, पंजाब 516 करोड़ रुपये और राजस्थान 113 करोड़ रुपये और उधार ले सकते हैं।’ केयर रेटिंग्स ने चेताया है कि लॉकडाउन के कारण राज्यों के राजस्व पर भार बढ़ गया है। इसीलिए वे तेजी से खर्च नहीं कर पा रहे हैं।
आलम यह है कि महाराष्ट्र में तो वेतन भी रोकना पड़ा है। राज्य ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए टैक्स भी नहीं बढ़ाए हैं, जैसा कि असम, मेघालय, नगालैंड और हरियाणा ने ईंधन पर कर बढ़ाकर किया है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में सोमवार को 771 नए मामले सामने आए, इसमें मुंबई में 510 मामले शामिल हैं। मुंबई की धारावी बस्ती में 42 नए केस मिले हैं।