राज्यपाल जगदीप धनखड़ और विपक्षी राजनीतिक दलों की मानें तो पहले दिन से ही उठ रहे इस सवाल का जवाब ‘हां’ है और राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की मानें तो इसका जवाब ‘ना’ है.
अब कोरोना संक्रमितों और इससे होने वाली मौतों पर आंकड़ों के कथित हेरफेर को इस साल होने वाले नगर निगम चुनावों और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है.
बंगाल में कोरोना के आंकड़ों की हकीकत चाहे जो हो, राज्य सरकार की गतिविधियों ने संदेह को बल ही दिया है.
पहले तो उसने कोरोना से होने वाली मौतों की पुष्टि के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया और उसके आधार पर अप्रैल के पहले सप्ताह में मौतों की तादाद उस समय के सात से घटा कर तीन कर दी.
उसके बाद भी अब तक 72 ऐसी मौतें हुई हैं जो कोरोना वायरस से संक्रमित तो थे लेकिन सरकार का दावा है कि वो लोग दूसरी गंभीर बीमारियों की वजह से मरे हैं.
इस विशेषज्ञ समिति पर लगातार सवाल उठने और सरकार को कठघरे में खड़े करने के बाद अब उसके अधिकार सीमित कर दिए गए हैं.
अब मौतों की पुष्टि के लिए उसकी मुहर की ज़रूरत नहीं है.
साथ ही सरकार ने माना है कि निजी अस्पतालों से समय पर तमाम तथ्य नहीं मिलने की वजह से आंकड़ों में अंतर आ रहा था. अब इसे सुधार लिया गया है.
इसके बावजूद सरकार कोरोना से मरने वालों में उन 72 लोगों को शामिल नहीं करने पर अड़ी है जिनकी मौत कथित रूप से दूसरी बीमारियों के चलते हुई है.
कोरोना वायरस से होने वाली मौतों पर विवाद बढ़ने के साथ राज्य सरकार ने मार्च के आख़िर में ही ऐसी मौतों की पुष्टि के लिए एक पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर सरकार ने मृतकों का आंकड़ा सात से घटा कर तीन कर दिया था.
उस समय मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने कहा था, “बाकी चार मरीज़ों की मौत दूसरी बीमारियों की वजह से हुई है.”
वैसे, इस समिति पर शुरुआत से ही विवाद पैदा हो गया था. विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार ने कोरोना से होने वाली मौतों पर पर्दा डालने के लिए ही इसका गठन किया है.
राज्यपाल धनखड़ भी अपने ट्वीट्स और पत्रों में सरकार पर मौतों का आंकड़ा छिपाने का आरोप लगाते रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस इसे राजनीति से प्रेरित आरोप बताती रही है.
विपक्षी दलों का आरोप है कि सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस अपने राजनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए ही कोरोना के आंकड़ों में पारदर्शिता नहीं बरत रही है.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष आरोप लगाते हैं, “सरकार कोरोना से संबंधित तथ्य छिपा रही है. शायद उसकी निगाहें अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर है.”
घोष ने इस बारे में कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की है. इसमें विशेषज्ञ समिति के गठन पर भी सवाल उठाया गया है.
बीजेपी सांसद सुभाष नस्कर, जो खुद एक डॉक्टर हैं, कहते हैं, “सरकार शुरू से ही राज्य में कोरोना संक्रमण के मामलों को दबाने का प्रयास कर रही है. वह इस महामारी को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रही है. सरकार की ग़लती की वजह से ही राज्य में संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.”