बीमारी से मौत को भूख से मौत का रूप देने के लिए परेशान हैं सरकार के विपक्षी
सुनील कुमार
लातेहार। जिले के मनिका प्रखंड के डोकी पंचायत स्थित ग्राम हेसातु के जुगलाल भुइया की पांच वर्षीय पुत्री निम्मी कुमारी की मौत ने राजनीतिक रुख अख्तियार कर लिया है। एक ओर उसकी मौत जहां तेज बुखार में तालाब में स्नान करने से हुई बतायी जा रही है, वहीं सरकार के विरोधियों द्वारा इसे भूख से मौत का मामला बताया जा रहा है। बच्ची की मां कलावती देवी की अगर सुने तो उनके कुल आठ बच्चे हैं। सभी को आंगनबाड़ी से आहार मिलता है, लेकिन उसके पिता के नहीं रहने से उसका राशन कार्ड नहीं बन पाया। उधर गांव की मुखिया पार्वती देवी का कहना है कि जुगलाल सपरिवार ईंट भट्ठे में रहता है और कभी-कभार ही अपने घर आता है। इस वजह से उस परिवार का सर्वे नहीं हो पाया और राशन कार्ड नहीं बन सका। उन्होंने कहा कि बगैर कार्ड धारियों को भी दस किलोग्राम प्रति माह खाद्यान्न देने का प्रावधान किया गया है, और उसे दिया भी गया है। मुखिया का आगे कहना है कि पंजी संधारण नहीं होने से भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि कलावती को कितना खाद्यान्न किस माह में दिया गया। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का कहना है कि पीड़ित परिवार के घर में अनाज का दाना तक नहीं था। वहीं, बीडीओ मनिका एनके राम का कहना है कि पीड़ित परिवार के बच्चों ने मध्याह्न भोजन एवं आंगनबाड़ी से सूखा आहार प्राप्त किया है।
उनके घर तक उक्त योजना की आहार सामग्री भी पहुंचायी जा चुकी है, तो इनकी मौत भूख से नहीं हो सकती। बहरहाल निम्मी की भूख से मौत हुई होती, तो अन्य सात बच्चों की भी हालत खराब हुई होती, लेकिन सभी बच्चे स्वस्थ हैं। उसकी मां भी पूरी तरह स्वस्थ है। इससे स्पष्ट होता है कि यह मामला भूख नहीं बीमारी का है। पड़ोसी गोपाल सिंह की पुत्री रश्मि कुमारी का कहना है कि निम्मी उसके साथ पढ़ती थी और वह तालाब में स्नान करने शनिवार को उसके साथ गयी थी। उसे बुखार भी था। ऐसा अन्य ग्रामीणों का भी कहना है। कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना है कि कभी-कभार उसे फरका जैसा भी होता था, जो जांच का मामला है। इधर मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा है कि जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा कि निम्मी की मौत की असली वजह क्या है।