आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। निजी कंपनियों को कोल ब्लॉक आवंटित करने के मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ऐसा क्यों नहीं हो सकता है कि जमीन मालिक ही माइनिंग करने का काम करें। हमारी सरकार इस पर चिंतन करेगी। बुधवार को प्रोजेक्ट भवन के बाहर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद इस पर राज्य सरकार विचार करेगी कि क्या करना है।
सीमा पर खुलेंगे कम्युनिटी किचेन
सीएम ने कहा कि प्रवासी राहगीरों के लिए राज्य की सीमा में हाइवे पर प्रत्येक 20 किलोमीटर पर कम्युनिटी किचेन खोलने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कम्युनिटी किचेन को जिला प्रशासन के सहयोग से चलाया जायेगा। अभी तक ऐसे कम्युनिटी किचेन खोलने के लिए 94 जगह को चिन्हित भी कर लिया गया है। यहां नि:शुल्क भोजन और पानी की व्यवस्था की जायेगी। इन स्थानों पर एकत्रित लोगों को समीप के सुरक्षित शिविर में ले जाया जायेगा, ताकि इन्हें वाहन से उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा सके। उन्होंने कहा कि झारखंड के साथ-साथ झारखंड में फंसे दूसरे राज्यों के लोग या झारखंड से गुजर कर अपने राज्य जा रहे लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचने में भी हमारी सरकार सहायता कर रही है।
ई-कॉमर्स पर पूर्व का नियमन ही जारी रहेगा
सीएम ने कहा कि चेंबर आॅफ कॉमर्स के सदस्यों ने हमें ई-कॉमर्स के संबंध में विचार करने की बात कही थी। इस पर हमने विचार किया और चेंबर आॅफ कॉमर्स के इस आग्रह को ध्यान में रखते हुए इ-कॉमर्स के संदर्भ में जो आदेश निर्गत हुए थे, उस आदेश में तत्काल बदलाव कर पूर्व में जो नियमन था, उसे लागू किया गया है। इससे पहले जो इ-कॉमर्स को छूट मिली है, वो जारी रहेगी।
प्रवासी हमारी सबसे बड़ी चिंता
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी प्राथमिकता बाहर फंसे लोगों की जान बचाने की है। आये दिन हमारे प्रवासी भाई मौत के आगोश में जा रहे हैं। इस संक्रमण के दौर में सबसे ज्यादा चिंता हमारे प्रवासी मजदूर है। उन्होंने हाइवे किचेन के सवाल पर कहा कि धीरे-धीरे हम अपने साथियों को भी सुरक्षित पहुंचाने के काम में लगे हुए हैं और राज्य के अंदर ठप पड़ी व्यवस्थाओं को पटरी पर ला रहे हैं।
झारखंड को दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना है
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व में आयी इस महामारी से हो रहे संकट में लोगों को मानवता नहीं खोनी चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड के लोगों को इंसानियत और सौहार्द का दुनिया के सामने उदाहरण बनना चाहिए। झारखंड के बाहर सात लाख से अधिक झारखंडी मजदूरों के फंसे होने की सूचना प्राप्त हुई, जिनमें से छह लाख से अधिक मजदूरों के लिए संबंधित राज्य सरकार से सामंजस्य स्थापित कर रहने खाने का प्रबंध कर दिया गया। वहीं, वैसे मजदूर, जो वापस झारखंड आना चाहते हैं, उनके लिए स्पेशल बसें भेजी जा रही हैं और श्रमिक स्पेशल ट्रेन के माध्यम से भी उन्हें वापस अपने घर लाया जा रहा है। लाखों की संख्या में मजदूरों को अपने घर वापस लाया गया है। वहीं प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों की घर वापसी में सरकार सहायता कर रही है।