रांची। ब्रेन एन्यूरिज्म के जटिल मामलों के इलाज में अब नई तकनीकों ने चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ला दी है। राजधानी रांची के सैमफोर्ड अस्पताल में न्यूरोविज्ञान और कैथलैब विशेषज्ञों की टीम ने एक जटिल लेफ्ट आइसीए एन्यूरिज्म का सफल इलाज कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस दुर्लभ और जोखिम भरे केस में मरीज को पाइपलाइन फ्लो डायवरटर और कवाइलिग तकनीक के माध्यम से बिना बड़े ऑपरेशन के पूरी तरह से ठीक कर दिया गया।
सैमफोर्ड अस्पताल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर गणेश कुमार ने बताया कि ब्रेन एन्यूरिज्म एक गंभीर स्थिति होती है जिसमें मस्तिष्क की धमनियों की दीवारें कमजोर हो जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। जब यह सूजन फट जाती है तो ब्रेन हेमरेज जैसी जानलेवा स्थिति बन सकती है। सैमफोर्ड अस्पताल, रांची की कैथलैब और न्यूरोसाइंस टीम की विशेष भूमिका रही। डॉ. गणेश कुमार और डॉ. शशि रंजन के नेतृत्व में पूरी टीम ने कई घंटे तक चली जटिल ऑपरेशन को सफल बनाया।मरीज की स्थिति थी बेहद संवेदनशील
इस केस में मरीज को बार-बार सिरदर्द और दृश्य भ्रम की शिकायत थी। एमआर एंजियोग्राफी और डीएसए में यह स्पष्ट हुआ कि मरीज के मस्तिष्क की मुख्य धमनी में एक बड़ा एन्यूरिज्म मौजूद है, जो किसी भी समय फट सकता था। इसे देखते हुए तत्काल निर्णय लिया गया कि पारंपरिक सर्जरी की जगह मिनिमली इनवेसिव टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा।
सैमफोर्ड अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोइंटरवेंशनल सर्जनों और कैथलैब टीम ने इस केस में तकनीक का इस्तेमाल किया। पाइपलाइन डिवाइस एक विशेष प्रकार का मेश स्टेंट होता है, जो ब्रेन की धमनी के अंदर जाकर एन्यूरिज्म के चारों ओर फ्लो को डायवर्ट करता है और धीरे-धीरे एन्यूरिज्म को समाप्त कर देता है। वहीं, कोइलिंग में छोटे-छोटे स्प्रिंग जैसे कॉइल एन्यूरिज्म में भर दिए जाते हैं जिससे वह रक्तस्राव नहीं कर पाता।यह प्रक्रिया बिना किसी ओपन सर्जरी के, कैथलैब के माध्यम से एंजियोग्राफी जैसे तकनीक से की गई।