कोरोना संकट के बीच कई गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने केंद्र सरकार से ज्यादा आर्थिक मदद की मांग की है. अमित शाह का कहना है कि केंद्र सरकार का किसी भी राज्य के साथ कोई मतभेद नहीं है, अधिक मदद की मांग राज्य का अधिकार है.

दरअसल पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों ने केंद्र के सामने अतिरिक्त आर्थिक मदद की मांग रखी है. मोदी सरकार 2.0 का एक साल पूरा होने के मौके पर आजतक के खास कार्यक्रम e-एजेंडा में देश के गृह मंत्री अमित ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना संकट में राज्यों को हरसंभव मदद पहुंचाई है.

अमित शाह ने कहा कि सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपये का गरीब कल्याण फंड जारी किया है. 12 हजार करोड़ रुपये एनडीआरएफ फंड से भेजे गए. वित्त मंत्रालय की ओर से 22 हजार करोड़ रुपये भी राज्यों को भेजे गए. इसके अलावा 3 महीने तक मुफ्त में राशन दिया जा रहा है.

अमित शाह ने कहा कि किसी भी राज्य के साथ इस संकट में कोई भेदभाव नहीं हो रहा है. मुफ्त में 3 महीने का अनाज जो दिया जा रहा है, वो सभी राज्यों के लिए है. इसके अलावा किसानों के खातों में सम्मान निधि और महिलाओं के जनधन खाते में पैसे भेजे जा रहे हैं. ये पैसे देश के सभी राज्यों के लोगों को मिल रहे हैं. ये पैसे गैर-बीजेपी शासित राज्य पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और केरल भी भेजे जा रहे हैं.

गृह मंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों ने ज्यादा राहत पैकेज मांगा है, ये उनका अपना विषय है. केंद्र सरकार का भी अपना दायरा है. अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने अभी तक देश में जितनी भी आपदाएं आई हैं, उससे ज्यादा राज्यों को मदद कर रही है.

अमित शाह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान शुरुआती एक महीने में सरकार की कोशिश थी कि मजदूर जहां हैं, वहीं उनको रोका जाए. क्योंकि इस एक महीने के दौरान राज्यों में कई तरह की सुविधाएं नहीं थीं. केंद्र ने राज्यों को प्रवासी मजदूरों के अपने घर पहुंचने से पहले व्यवस्था के लिए 11 हजार करोड़ रुपये भेजे, ताकि इनके खाने, क्वारनटीन सेंटर में रहने और अस्पतालों में कोरोना वार्ड बनाया जा सके

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