– 1800 करोड़ की लागत से बनेगी रेल हब फॉर मैन्युफैक्चरिंग इकाई, 5 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
भोपाल। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज (रविवार को) को मध्य प्रदेश के एक दिवसीय पर आ रहे हैं। वे यहां रायसेन जिले में बनने वाली रेल कोच फैक्ट्री का भूमिपूजन करेंगे। औबेदुल्लागंज के दशहरा मैदान में आयोजित भूमि-पूजन कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, रक्षा उत्पाद सचिव संजीव कुमार, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार, भारत अर्थ मूवर्स परियोजना के अध्यक्ष शांतनु राय शामिल होंगे। इस अवसर पर बीईएलएल (भारत अर्थ मूवर्स लि.) परियोजना पर केन्द्रित लघु फिल्म, प्रस्तावित प्लांट का 3डी वॉक थ्रू और नए संयंत्रों के मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे।

मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि भारत अर्थ मूवर्स परियोजना द्वारा भोपाल जिले की सीमा के पास रायसेन के ग्राम उमरिया में 60 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर 1800 करोड़ रुपये की लागत से ब्रह्मा परियोजना (बीईएमएल रेल हब फॉर मैन्युफैक्चरिंग) का निर्माण होगा। इस परियोजना से भोपाल, रायसेन, सीहोर और विदिशा आदि जिलों को लाभ होगा। इन जिलों के तकनीकी संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। परियोजना में पांच हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होगा। यहां वंदे भारत-अमृत भारत और मेट्रो ट्रेनों के कोचों का निर्माण होगा।

मुख्यमंत्री ने रेल कोच फैक्ट्री को प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में औद्योगिक विकास की नई इबारत लिखेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के सशक्त नेतृत्व में मध्य प्रदेश सहित भारत के अन्य राज्यों के निवदेशकों को आमंत्रित किया जा रहा है। इस क्रम में कुछ माह पूर्व बैंगलोर में बीईएमएल संस्थान के भ्रमण के दौरान रायसेन जिले में रेल कोच फैक्ट्री की स्थापना के संबंध में निर्णय लिया गया।

उन्होंने बताया कि ‘ब्राह्मा’ संयंत्र पूरी तरह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करेगा। संयंत्र में उपयोग होने वाली अधिकांश तकनीक और सामग्री देश में विकसित व निर्मित की जाएगी, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी। इस संयंत्र के निर्माण में पर्यावरणीय मानकों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। यहां शून्य तरल अपशिष्ट प्रणाली, सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, वर्षा जल संचयन और हरित लैंडस्केपिंग को अपनाया जाएगा। निर्माण में पुनर्नवीनीकृत और टिकाऊ सामग्री का प्रयोग करते हुए इसे हरित फैक्ट्री मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा। परियोजना का प्रारंभिक उत्पादन क्षमता 125 से 200 कोच प्रतिवर्ष होगी, जिसे पांच वर्षों में बढ़ाकर 1100 कोच प्रतिवर्ष किया जाएगा।

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