कनाडा ने बुधवार को 12 साल तक के बच्चों को टीकाकरण की मंजूरी दे दी है। दुनिया में पहली बार इतने कम उम्र के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाया जाएगा। इसके लिए फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। अधिकतर देशों में अभी व्यस्कों और बुजुर्गों को ही कोरोना का टीका लगाया जा रहा है। कुछ देशों में वैक्सीनेशन की न्यूनतम उम्र 16 साल है। वहीं, भारत में 1 मई से ही 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को टीका लगना शुरू हुआ है।
कनाडा के मुख्य मेडिकल सलाहकार सुप्रिय शर्मा ने न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा, ”कनाडा में यह पहली वैक्सीन है जिसे बच्चों को कोविड-19 से बचाने के लिए मंजूरी दी गई है और यह महामारी के खिलाफ कनाडा की जंग में मील का पत्थर है। दुनिया में सबसे पहले हमने 12-15 उम्र के बच्चों के लिए फाइजर के वैक्सीन को मंजूरी दी है।”
अमेरिका और यूरोप में भी मिल सकती है मंजूरी
शर्मा ने आगे बताया कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने अपने टेस्टिंग रिपोर्ट्स जमा करा दिए हैं। इनकी समीक्षा के बाद जल्द ही ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन में भी इस वैक्सीन को 12 साल तक के बचचों के लिए मंजूरी दी जा सकती है। इसके अलावा अमेरिका भी अगले सप्ताह तक 12-15 वर्ष तक के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को मंजूरी दे सकता है।
2000 से ज्यादा बच्चों पर हुआ परीक्षण
सुप्रिय शर्मा ने बताया कि अमेरिका में 2000 से अधिक किशोरों को टीके के दो डोज लगाए गए। इस ट्रायल में पता चला कि यह वैक्सीन बच्चों पर भी सुरक्षित और उतना ही प्रभावी है जितना व्यस्कों पर। कनाडा के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिन बच्चों को यह टीका लगाया गया उनमें से कोई भी कोरोना संक्रमित नहीं पाया गया। इस हिसाब से वैक्सीन बच्चों में 100 फीसदी काम कर रही है, जबकि व्यस्कों में यह टीका संक्रमण से बचाव में 90 फीसदी से अधिक प्रभावी पाया गया है।
बच्चों में भी बड़ों के समान लक्षण
बच्चों पर भी टीका लगने के बाद के लक्षण व्यस्कों वाले ही थे, जैसे बांह में दर्द, ठंड लगना और बुखार आदि। कनाडा ने दिसंबर में 16 या इससे अधिक उम्र तक के लोगों के लिए फाइजर के टीके को मंजूरी दी थी। इसके अलावा यहां एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन और मोडेरना जैसे टीकों को भी मंजूरी मिल चुकी है और ये 6 महीने तक के बच्चों के लिए वैक्सीन के ट्रायल की तैयारी में हैं।