रांची। झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अनूप अग्रवाल के माध्यम से धुर्वा के राजन सिंह ने इ-पास की पेचीदगियों को खत्म करने की मांग को लेकर हाइकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। इस जनहित याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए अदालत से विशेष आग्रह किया गया है। अधिवक्ता के मुताबिक अदालत से गुजारिश की गयी है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और लोकल मूवमेंट के लिए इ- पास की बाध्यता खत्म करने का निर्देश दे।

इ-पास लेना एक जटिल प्रक्रिया है

याचिका में कहा गया है कि इ-पास लेना एक जटिल प्रक्रिया है और सरकार द्वारा जारी इ- पास से संबंधित आदेश में कई खामियां हैं। मसलन अगर किसी व्यक्ति को दूध लेने के लिए भी जाना है और वह बाइक या किसी अन्य वाहन से सड़क पर निकलता है, तो उसे इ- पास की जरूरत होगी। इ- पास नहीं होने पर उसके खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई हो सकती है। याचिका में यह भी कहा गया है कि  स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान लोगों की आवाजाही काफी कम है और बिना जरूरत के लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। ऐसे में इ- पास जारी किये जाने के लिए जो जानकारी मांगी जा रही है, उससे निजता का हनन होने की भी पूरी संभावना है। इ- पास लेने के लिए आपको आपकी हर गतिविधि की जानकारी साझा करनी होगी। इसके साथ ही झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लाखों ऐसे लोग हैं, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है। ऐसे में वे इ- पास के लिए कैसे और कहां आवेदन करेंगे, यह भी एक बड़ी परेशानी है।

सात कामों के लिए जारी होगा इ- पास

झारखंड स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह 27 मई तक जारी है। इस दौरान कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने 16 मई से सख्ती बरतने का फैसला किया है। इसके तहत निजी वाहन परिचालन के लिए इ-पास अनिवार्य किया गया है। इ-पास के लिए सरकार द्वारा epassjharkhand.nic.in सिस्टम तैयार किया गया है, जिस पर लॉग इन करके लोग सरकार द्वारा अनुमत कामों के लिए इ-पास ले सकते हैं। यह इ-पास केवल सात कामों के लिए ही जारी किया जायेगा। इसमें कृषि, स्वास्थ्य, खाद्य और ग्रॉसरी, निर्माण, विनिर्माण. शादी और श्राद्ध शामिल हैं।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version