कोरोना वायरस की दसूरी लहर के बीच भारत में एक नई दवा एंट्री हो गई है। हरियाणा के 84 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति को यह दे दी गई है। ये वही दवा है जो पिछले साल कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दी गई थी। उस समय यह दवा काफी चर्चा में भी रही थी। अब भारत में भी यह दवा पहुंच चुकी है।
गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में पिछले पांच दिनों से कोरोना का इलाज करा रहे मोहब्बत सिंह को करीब 30 मिनट तक यह दवा दी गई। जो दवा दी गई है वो कासिरिविमैब (Casirivimab) और इम्देवीमैब (Imdevimab) का कॉकटेल है और इसे कोरोना के कुछ रोगियों के इलाज में सफल माना जाता है। यह दवा कोरोना रोगियों की स्थिति बिगड़ने से पहले हल्खे और मध्यम लक्षणों से सुरक्षा प्रदान करता है और इसके लेने के बाद संभवत: मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं होगी।
सोमवार को भारत पहुंची यह दवा
रोश इंडिया और सिप्ला लिमिडेट की ओर से आधिकारिक घोषणा के बाद इस दवा का पहला बैच सोमवार को भारत पहुंचा। इस दवा की खासियत यह है कि अगर इसे कोरोना के शुरुआती लक्षण वाले मरीजों में इंजेक्ट किया जाता है तो यह रोगी की कोशिकाओं में प्रवेश कर कोरोना वायरस के बढ़ने से रोकता है। यह वायरस के विकास को भी रोक देता है।
कोरोना के विकास को रोकती है यह दवा
मेदांता के निदेशक डॉ नरेश त्रेहान ने कहा कि यह दवा जब मरीज को दी जाती है तो उसके बाद यह शरीर में कोरोना वायरस के विकास को रोक देता है। कोरोना मरीजों में यह दवा एक तरह से यह ब्लॉकिंग मैकेनिजम की तरह काम करती है। डॉक्टर त्रेहान ने कहा कि दवा के बाद शरीर में बनी एंडीबॉडी कोरोना वायरस के नए स्वरूप बी.1.617.2 के खिलाफ भी प्रभावी हैं और प्रयोगशालाओं में भी इसकी पुष्टि की गई है।